Last Updated: Saturday, May 19, 2012, 16:01
इस्लामाबाद : राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने नाटो हमले में मारे गये पाकिस्तानी सैनिकों के बाद अमेरिका के साथ रिश्तों में आये गतिरोध को दूर करने के लिये पर्दे के पीछे से अहम भूमिका निभायी और अफगानिस्तान पर हो रहे महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में इस्लामाबाद की भागेदारी का मार्ग प्रशस्त किया।
सरकारी सूत्रों ने आज बताया कि नवम्बर में नाटो हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में आये गतिरोध को दूर करने के लिये जरदारी ने पहल की। पाकिस्तान ने हमले के जवाब में अफगानिस्तान में विदेशी बलों के लिये आपूर्ति मार्गों को बंद कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने ओबामा प्रशासन को संकेत दिया कि अगर दोनों पक्षों में गतिरोध से उबरने की दिशा में किसी तरह की सहमति हुई तो वे मई 20-21 को शिकागो में होने वाले सम्मेलन में शामिल होंगे।
इससे पहले विदेश उप मंत्री थामस निदेस जैसे शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के साथ बैठकों में पाकिस्तानी पक्ष नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लेने को लेकर प्रतिबद्ध नहीं रहा। जरदारी की भागेदारी को लेकर सहमति मई के पहले हफ्ते में बनी और फिर नाटो महासचिव जनरल एंडर्स फॉग रासमुसेन ने औपचारिक तौर पर 15 मई को राष्ट्रपति को सम्मेलन में शामिल होने का न्योता भेजा।
सूत्रों के अनुसार पिछले चार माह में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बातचीत का जब कोई नतीजा नहीं निकला तो अमेरिका से माफी को लेकर कड़ा रूख अपनाने वाले सुरक्षा संस्थानों के पास गतिरोध को दूर करने के लिये जरदारी को अहम भूमिका निभाने देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
पाकिस्तान के रूख में तब नरमी दिखायी दी जब विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने हाल में कहा कि अब समय ‘आगे बढ़ने’ और अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारने का है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 19, 2012, 21:31