यूरेनियम मसला: मनमोहन से मिलीं गिलार्ड - Zee News हिंदी

यूरेनियम मसला: मनमोहन से मिलीं गिलार्ड



बाली : आसियान और ईस्ट एशिया सम्मेलनों में  ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात में स्पष्ट किया कि वह भारत को यूरेनियम बेचने पर लगा प्रतिबंध हटाने के अपने प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगी।


 

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मैं दिसंबर में अपनी पार्टी की कॉन्फ्रेंस में नीति को बदलने जा रही हूं।’ लंबे समय से कायम ऑस्ट्रेलियाई रूख को बदलने का संकेत देते हुए गिलार्ड ने 15 नवंबर को कहा था, ‘सत्तारूढ़ लेबर पार्टी का वर्तमान मंच हमें भारत को यूरेनियम बेचने से रोकता है क्योंकि नई दिल्ली परमाणु अप्रसार संधि का भाग नहीं है। मुझे लगता है कि लेबर पार्टी के लिए अपने रूख में परिवर्तन करने का समय आ गया है।’

 

इस फैसले के लिए गिलार्ड ने तीन कारण बताए। पहला, भारत को यूरेनियम का निर्यात ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा और इससे रोजगारों का सृजन होगा। यूरेनियम से वर्तमान में ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था को 75 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डालर का योगदान मिलता है।

 

दूसरा, इस एशियाई देश में ऑस्ट्रेलिया को दुर्लभ अवसर मिलता है क्योंकि हम दुनिया के जिस हिस्से में रह रहे हैं वहां मजबूत आर्थिक वृद्धि हो रही है और भारत एक उभरती ताकत के तौर पर इस वृद्धि का भाग होगा इसलिए भारत के साथ संभावित उत्कृष्ट साझीदारी ऑस्ट्रेलियाई रोजगारों के लिए अच्छी है। गिलार्ड ने यह भी कहा कि यूरेनियम के निर्यात पर लगा ऑस्ट्रेलियाई प्रतिबंध हटाना अब मायने रखता है, जब भारत को परमाणु अप्रसार संधि के दायरे में लाने के लिए ‘व्यापक समर्थित अंतरराष्ट्रीय रणनीति है लेकिन अमेरिका भारत असैन्य परमाणु समझौते ने इस रणनीति को बदल दिया। इससे इस क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग पर लगा अघोषित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हट गया है।

 

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसके फलस्वरूप दुनिया भर में कूटनीतिक परिदृश्य भी बदला है तो हमारे लिए इससे इनकार करने का कोई मतलब नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे राष्ट्रीय मंच को यह असलियत समझ लेना चाहिए।’ फैसले के बाद गिलार्ड ने 16 नवंबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और उन्हें अपने कदम से अवगत कराया। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने सिंह को नवंबर के शुरू में एक पत्र भी लिखा था।

 

गिलार्ड के फैसले से उनकी सरकार में मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। विदेश मंत्री केविन रड ने इस कदम पर विरोध जताया है। जब गिलार्ड ने यह फैसला किया था तब रड भारत में थे। रड ने कहा, ‘मुझसे परामर्श नहीं किया गया।’ प्रधानमंत्री ने फैसले का ऐलान करने से पहले सभी मंत्रियों से बातचीत नहीं की थी।


 

भारत सरकार के सूत्रों ने इस कदम को ‘देर आये दुरूस्त आए’ करार दिया लेकिन कहा कि नई दिल्ली को इस मुद्दे पर उस अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा जो सत्तारूढ़ लेबर पार्टी अपने अंदर मतभेद के मद्देनजर लेती है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, November 19, 2011, 20:02

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