Last Updated: Thursday, August 18, 2011, 11:33

ऐजेंसी। रडार को चकमा देने में सक्षम अपने पहले स्टेल्थ लड़ाकू विमान को रूस ने दुनिया के सामने पेश किया. यह लड़ाकू विमान अमेरिकी विमान एफ-22 और एफ-35 से भी उन्नत बताया जा रहा है. इसके साथ ही इस गुप्त परियोजना से पर्दा हट गया कि अमेरिकी एफ-22 और एफ-35 लड़ाकू विमानों पर आई लागत के महज कुछ भाग से इस विमान को तैयार किया गया है.
यह भी स्पष्ट हो गया कि इसे भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से तैयार किया गया है. पांचवीं पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान सुखोई टी-50 ने रूस के प्रधानमंत्री ब्लादिमीर पुतिन और वहां के वायुसेना अध्यक्ष की मौजूदगी में मैक्स-2011 एयर शो में उड़ान भरी.
वहां के वायुसेना प्रमुख ने घोषणा की कि नए लड़ाकू विमान 2014-15 तक वायुसेना में शामिल कर लिए जाएंगे. गौरतलब है कि यूएसी कंपनी ही स्टील्थ विमानों को बनाने का जिम्मा ली हुई है.
इस विमान को बनाने वाली कंपनी युनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के अध्यक्ष मिखाइल पोगोस्यान ने कहा, ‘नया स्टेल्थ लड़ाकू विमान न केवल रूसी वायुसेना बल्कि भारतीय वायुसेना को बल प्रदान करेगा.’ इससे दोनों देशों के संबंधों को भी मजबूती मिलेगा, क्योंकि दोनों देश आगे भी इस तरह की परियोजनाओं पर काम करने के इच्छुक हैं.
उन्होंने कहा कि स्टील्थ विमानों के विकास में भारत के साथ जो सहयोग चल रहा है उससे अंतरराष्ट्रीय बाजार भी इसके लिए खुलेगा. मिखाइल ने कहा कि फिलहाल अभी हमने इसका प्रदर्शन किया है. इसे वायुसेना में शामिल करने के लिए दोनों देशों को अभी तोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.
इसे भारत और रूस साथ मिलकर विकसित कर रहे हैं. इसके लिए 2007 में रक्षा मंत्री एके एंटनी की मॉस्को यात्रा के दौरान समझौता हुआ था.
गौरतलब है कि एक समझौते के तहत भारत 200 टी-50 विमानों को खरीदेगा और रूस ऐसे ही 150 विमान अपने बेड़े में शामिल करेगा. इस परियोजना में भारत 600 मिलियन डॉलर निवेश करेगा जबकि इस विमान के विकास में 10 बिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं.
इतनी बड़ी राशि के बावजूद यह माना जा रहा है कि जिस क्षमता का यह लड़ाकू विमान है उसके हिसाब से प्रति विमान पर आने वाला खर्च औरों की तुलना में कम होगा.
First Published: Thursday, August 18, 2011, 17:06