`राजीव गांधी को लिखा गया पत्र अहंकार भरा था`

`राजीव गांधी को लिखा गया पत्र अहंकार भरा था`

`राजीव गांधी को लिखा गया पत्र अहंकार भरा था`लंदन : रूश्दी ने माना है कि अपनी पुस्तक ‘द सैटनिक वर्सेस’ पर भारत में प्रतिबंध लगाने की आलोचना करते हुए वर्ष 1988 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जो पत्र लिखा था वह ‘अहंकार भरा’, ‘गुस्से से भरा’ और ‘गुस्ताखी भरा’ था। रूश्दी ने राजीव को पत्र लिखने के पूरे 24 वर्ष बाद माना है कि पुस्तक पर प्रतिबंध को लेकर उनकी प्रतिक्रिया बहुत गुस्ताखी भरी थी।

65 वर्षीय रूश्दी ने अपने 633 पन्नों के वृतांत ‘जोसेफ एंटन’ में ईरान के संगठन की ओर से फतवा जारी होने के बाद छुपते-छुपाते बिताए वक्त के बारे में लिखा है लेकिन साथ ही भारत के साथ अपने जुड़ाव की भावनाओं के बारे में भी लिखा है। उत्तम पुरूष में लिखे इस वृतांत में रूश्दी लिखते हैं कि पारिवारिक मित्र और लंदन में भारत के उप उच्चायुक्त सलमान हैदर ने फोन करके औपचारिक तौर पर सूचित किया था कि उनकी पुस्तक ‘द सैटनिक वर्सेस’ पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वह लिखते हैं कि ‘द सैटनिक वर्सेस’ से पहले आयी किताब ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ को भारत में जिस उत्साह के साथ स्वीकर किया गया उसके बाद पुस्तक पर लगे प्रतिबंध ने उन्हें बहुत तकलीफ दी। भारत ने ‘द सैटनिक वर्सेस’ के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया, यह बहुत दुखदायी था।

उस दौरान राजीव गांधी के नाम लिखे गए रूश्दी के खुले पत्र को बड़े पैमाने पर प्रकाशित किया गया था। पत्र लिखने के पूरे 24 वर्ष बाद रूश्दी ने माना है कि वह अहंकार से भरा हुआ था। उन्होंने लिखा है, ‘उपन्यासकारों से इस तरह के व्यवहार की आशा नहीं की जाती है, एक प्रधानमंत्री पर चिल्लाना। वह.. अहंकार भरा था। वह गुस्ताखी भरा था।

First Published: Wednesday, September 19, 2012, 18:30

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