Last Updated: Wednesday, March 21, 2012, 04:41
मास्को : रूस की एक अदालत ने भगवद् गीता के अनुवादित संस्करण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह मामला तामस्क के सरकारी अभियोजक द्वारा जून 2011 में दायर एक याचिका से सम्बंधित था, जिसमें इस्कॉन के संस्थापक ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा रचित 'भगवद गीता एज इट इज' के रूसी अनुवाद पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इस ग्रंथ को चरमवादी मानते हुए इसे सामाजिक विद्वेष फैलाने वाला कहा गया था।
साइबेरिया के तोमस्क शहर के सरकारी वकीलों ने एक याचिका दायर कर रूसी भाषा में अनुवादित संस्करण को उग्र साहित्य बताया था। वकीलों का कहना था कि इसमें नफरत भरी है और इसमें गैर आस्थावान लोगों का अपमान किया गया है। इससे सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा मिला है।
तोमस्क की एक अदालत ने 28 दिसंबर को उस याचिका खारिज कर दिया था जिसमें रूसी भाषा में अनुवादित भगवद् गीता के संस्करण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। अनुवादित संस्करण पर प्रतिबंध की मांग करने वाली मूल याचिका जून 2011 में दाखिल की गई थी और उस पर सुनवाई के दौरान दुनिया भर में प्रतिक्रिया देखी गई।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 21, 2012, 20:51