Last Updated: Sunday, June 23, 2013, 16:39
लाहौर : स्तब्ध करने वाले एक भंडाफोड़ में पाकिस्तान के प्रांतीय मंत्री ने खुद को आम आदमी की तरह पेश करते हुए उच्च सुरक्षा वाली जेल में प्रवेश पा लिया। इस क्रम में उन्होंने अधिकारियों को 1300 रुपये की रिश्वत दी और इसके बाद उन्हें अपनी कोई भी पहचान नहीं दिखानी पड़ी।
चौधरी अब्दुल वाहिद अरैन को देश के सबसे बड़े प्रांत पंजाब का हाल में कारावास मंत्री नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका यह कदम जेलों में भ्रष्टाचार खत्म करने के मकसद से उठाया गया था। अरैन लाहौर के कैम्प जेल में शुक्रवार को एक आम नागरिक की तरह एक कैदी से मिलने गये थे। द्वार पर खड़े पहरेदार ने उनसे पहचान पत्र मांगा लेकिन जब उन्होंने उसे 700 रूपये दिये तो उन्हें बिना पहचान पत्र दिखाये ही अंदर जाने दिया गया।
मंत्री ने कहा कि उन्हें गेट से लेकर बैरक तक विभिन्न स्थलों पर रोका गया और रिश्वत की मांग की गयी। उन्होंने जेल अधिकारियों को कुल 1300 रूपये दिये और उनसे उनका सेल फोन भी नहीं लिया गया।
अरैन ने मीडिया से कहा, मैं जेल के पहरेदारों के व्यवहार को देखकर दंग रह गया। उन्होंने रास्ते में हर कदम पर रिश्वत मांगी और मेरा आई कार्ड देखे बिना मुझे जाने दिया। जेल के अंदर अरैन आराम से घूम रहे थे और उन्होंने कुछ कैदियों के परिवारों से बातचीत की। ऐसे लोगों ने उनके समक्ष आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया। अरैन ने कहा कि वह यह जानकर दंग रह गये कि जो लोग रिश्वत दे सकते हैं उनकी कैदियों के साथ किसी कमरे में विशेष मुलाकात करवायी जा सकती है।
मंत्री जब जेल से बाहर जा रहे थे तो उनसे फिर रिश्वत मांगी गई। इस बार उन्होंने अपनी पहचान उजागर कर दी तथा अधिकारियों ने उनसे माफी मांगनी शुरू कर दी। बाद में कैम्प जेल के सहायक अधीक्षक काशिफ रसूल, मुख्य वार्डन लतीफ शाह और वार्डन सज्जाद हुसैन एवं मुहम्मद सैफुल्ला को बर्खास्त कर दिया गया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 23, 2013, 16:39