Last Updated: Thursday, October 20, 2011, 12:07
जी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीत्रिपोली : लीबिया पर 42 साल तक एकछत्र हुकूमत करने वाले मुअम्मर गद्दाफी को गुरुवार को उसी सिरते शहर में मारे गए, जहां उनकी पैदाइस हुई और बचपन बीता।
समाचार चैनल अलजजीरा के मुताबिक एनटीसी के सैन्य कमांडर अब्दुल हकीम बेलहाजी ने बताया कि गद्दाफी मारे जा चुके हैं। खबर के मुताबिक गद्दाफी के सिर में गोली मारी गई और इसके बाद तानाशाह की मौत हो गई। गद्दाफी ने मारे जाने से पहले यह भी कहा कि ‘डांट शूट मी’।
एनटीसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गद्दाफी के शव को कहां ले जाया गया है, इसकी जानकारी सुरक्षा कारणों से गोपनीय रखी गई है। एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी के मारे जाने पूरे लीबिया को उनके शासन से मुक्त कराने का खूब जश्न मनाया और इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया।
खबरों में कहा गया है कि विद्रोहियों की गोलीबारी में बुरी तरह घायल हुए 69 साल के गद्दाफी की पकड़े जाने के बाद मौत हो गई। वह त्रिपोली में अपनी सत्ता गंवाने के बाद से छिपते फिर रहे थे। आखिर 42 साल के उनके शासन का अंत हो ही गया। नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (एनटीसी) के एक कमांडर के मुताबिक सिरते से गद्दाफी के बेटे मुतस्सिम का भी शव बरामद किया गया। एनटीसी के प्रवक्ता अब्दुल हफील गोगा ने कहा कि हम दुनिया के सामने यह ऐलान करते हैं कि गद्दाफी इंकलाब के हाथों मारा गया है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। यह जुल्म और तानाशाही का खात्मा है। गद्दाफी की यही नियति थी।
गद्दाफी ने तेल संपदा के धनी लीबिया में 42 साल तक हुकूमत की। वर्ष 1969 में शाह इदरीस का तख्तापलट करके गद्दाफी सत्ता में आए थे। उस वक्त वह सेना में कैप्टन थे। वर्ष 2008 में उन्होंने खुद को ‘बादशाहों का बादशाह’ घोषित किया था। गद्दाफी के मारे जाने की खबर से पहले एनटीसी ने सिरते पर नियंत्रण कर लेने का दावा किया था। नाटो ने भी गद्दाफी की मौत की पुष्टि कर दी। गद्दाफी के मारे जाने की खबर सुनते ही त्रिपोली की सड़कों पर जश्न शुरू हो गया। लोग हवा में गोलीबारी करने के साथ ही अपने वाहनों के हार्न बजाते देखे गए। एनटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पकड़े जाने के बाद गद्दाफी मौत हो गई क्योंकि वह बुरी तरह जख्मी थे।
इससे पहले गद्दाफी के पकड़े जाने की खबर पर लीबिया के सूचना मंत्री महमूद शमाम ने कहा कि लीबियाई जनता के लिए यह एक बड़ी जीत है।सिरते में एनटीसी के एक अधिकारी ने कहा कि गद्दाफी शासन में रक्षा मंत्री रहे अबू बकर यूनुस सिरते में संघर्ष के दौरान मारे गए हैं। एक अस्पताल में उनके शव की शिनाख्त की गई है। गद्दाफी के शासन के खिलाफ इसी साल फरवरी पर जनविद्रोह की शुरुआत हुई थी। यह जनविद्रोह सशस्त्र संघर्ष में तब्दील हो गया और चंद महीनों बाद ही गद्दाफी के शासन का पटाक्षेप हुआ।
त्रिपोली से अपने परिवार के साथ गद्दाफी भागे, तो उनको लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। वह पिछले कुछ महीनों से सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए थे। सिरते में उनके समर्थक लड़ाके के बीते कई दिनों से एनटीसी लड़ाकों के लिए खासी परेशानी पैदा किए हुए थे। सिरते और बिन वलीद शहरों में एनटीसी को भी काफी नुकसान हुआ, हालांकि अब कज्जाफी के मारे जाने के बाद अब वे जश्न मनाने में डूबे हैं।
(एजेंसी)
First Published: Friday, October 21, 2011, 13:02