वीजा से मना कर भारत ने दिया था गहरा घाव: रूश्दी

वीजा से मना कर भारत ने दिया था गहरा घाव: रूश्दी

वीजा से मना कर भारत ने दिया था गहरा घाव: रूश्दीलंदन : करीब 12 वर्षों तक भारत का वीजा पाने से महरूम रहे विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी का कहना है कि उन्हें वीजा नहीं दिया जाना और विदेश में भारतीय दूतावासों का उनसे दूरी बनाना भारत की ओर से दिया गया एक गहरा घाव था।

साल 1988 में रूश्दी की विवादास्पद पुस्तक ‘द सैटनिक वर्सेज’ आई थी। इसके तत्काल बाद पुस्तक को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था और उन्हें वीजा देने से मना किया गया था क्योंकि उनके भारत आने से परेशानी खड़े होने की आशंका थी। कई संगठन उनका पुरजोर विरोध कर रहे थे।

रूश्दी ने 1987 में एक डाक्यूमेंटरी की शूटिंग करने के बाद भारत छोड़ा था। उन्होंने अपने संस्मरण ‘जोसेफ एंटन’ में लिखा है कि वह समय उनके लिए ‘लंबे निर्वासन’ की शुरुआत थी।

ब्रिटेन के नागरिक रूश्दी ने कहा, ‘द सैटनिक वर्सेज’ को प्रतिबंधित करने वाला पहला देश भारत था और उसने मुझे यात्रा का वीजा देने से भी इंकार किया। साढ़े 12 साल तक भारत लौटने की इजाजत नहीं मिली। भारत की ओर से पुस्तक पर प्रतिबंध और ईरान में कत्ल का फतवा जारी होने की स्थिति का उल्लेख करते हुए वह कहते हैं, ‘यह घाव भारत ने काफी गहरा दिया था।’

रूश्दी का कहना है कि उन्हें लंदन स्थित नेहरू केंद्र में नहीं आने के लिए कहा गया था। भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में भी उनके साथ समान व्यवहार नहीं हुआ। उन्होंने कहा, लंदन स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक गोपाल गांधी (महात्मा गांधी के पौत्र) के अनुसार उनकी मौजूदगी मुस्लिम विरोध के तौर पर देखी जाएगी तथा केंद्र की धर्मनिरपेक्षता को लेकर एक तरह का पूर्वाग्रह पैदा होगा।

साल 1997 को याद करते हुए रूश्दी कहते हैं कि उन्हें न्यूयार्क में भारत की आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर होने वाले समारोह से दूर रखा गया था। रूश्दी को 1999 में भारत का वीजा दिया गया था, लेकिन उनका दौरा नहीं हो सका क्योंकि उस वक्त बहुत विरोध था। साल 2000 में उन्होंने नई दिल्ली का दौरा किया। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 23, 2012, 19:04

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