Last Updated: Friday, February 3, 2012, 13:26
इस्लामाबाद : यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद
संकट में पहले से ही घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पर अब काफी दबाव बढ़ गया है। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ गई है कि गिलानी सरकार संकट में और गहरे घिर सकती है। यह बात एक स्थानीय दैनिक ने कही।
न्यूज इंटरनेशनल के एक संपादकीय में शुक्रवार को कहा गया कि कानून के राज के लिए गुरुवार एक अच्छा दिन था लेकिन राजनीति के लिए बुरा दिन। सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजा है। कोर्ट के आदेश मानने से इनकार करने के बाद उन्हें अवमानना का दोषी पाया और राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों से पूछा है।
गिलानी को पहले 19 जनवरी को बुलाया गया था। यदि दोषी साबित होते हैं तो उन्हें सार्वजनिक पद के अयोग्य ठहराया जा सकता है और उन्हें प्रधानमंत्री पद भी छोड़ना पड़ सकता है।
संपादकीय में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि एपेक्स कोर्ट इस बात को लेकर दृढ़प्रतिज्ञ है कि प्रधानमंत्री गिलानी स्विस अधिकारियों को लिखें। कोर्ट ने साल 2009 में राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) को अवैध करार दिया था। जिसके जरिए भ्रष्टाचार के मामले में नेताओं और अधिकारियों के बचने की गुंजाइश बनती थी। साथ ही, शीर्ष कोर्ट ने 10 जनवरी, 2012 तक आदेश पर अमल नहीं होने की सूरत में सरकार को कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
अदालत ने एनआरओ के तहत बंद किए गए मामलों को दोबारा खोलने की इच्छा जाहिर की थी और जरदारी के खिलाफ केस को खोलने के मद्देनजर स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए सरकार को आदेश जारी किया था। संपादकीय में कहा गया है कि ‘अब मौजूदा घटनाक्रम के चलते संकट में घिरे प्रधानमंत्री गिलानी पर दबाव काफी बढ़ गया और ऐसे में उनकी कमजोर सरकार संकट में और गहरे घिर सकती है। यह भी कहा गया है कि यह संकट सरकार की खुद अपनी ही देन है।‘ इससे आसानी से बचा जा सकता था, यदि सरकार कोर्ट के आदेश पर अमल करती और सही दिशा में कदम आगे बढ़ाती।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 3, 2012, 22:57