Last Updated: Thursday, March 21, 2013, 23:59

जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में गुरुवार को अमेरिका द्वारा पेश किया गया श्रीलंका विरोधी प्रस्ताव अंगीकृत कर लिया गया। भारत ने अमेरिकी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
मानवाधिकार परिषद द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, "श्रीलंका में शांति के लिए हो रहे विरोधों तथा जवाबदेही पर लगातार दूसरे वर्ष लाए गए प्रस्ताव को परिषद अंगीकृत करती है।"
यूएनएचआरसी ने मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोपों के खिलाफ श्रीलंका सरकार की ओर से अपना पक्ष नहीं रखे जाने का जिक्र करते हुए चिंता जताई लेकिन श्रीलंका को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया।
मानवाधिकार परिषद द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "इस प्रस्ताव को भारत, सिएरा लीयोन तथा ब्राजील सहित कुल 25 मतों के बहुमत के साथ स्वीकार किया जाता है तथा प्रस्ताव के विरोध में पाकिस्तान, वेनेजुएला, इंडोनेशिया, फिलिपिंस और थाईलैंड सहित 13 मत पड़े हैं।"
विज्ञप्ति में कहा गया है, "परिषद ने लगातार दूसरे वर्ष श्रीलंका में सामंजस्य एवं उत्तरदायित्व पर प्रस्ताव अंगीकार कर लिया है।"
मानवाधिकार परिषद ने कहा, "श्रीलंका ने युद्ध अपराधों तथा गंभीर मानवाधिकार हनन के खिलाफ एक स्वतंत्र, अंतर्राष्ट्रीय जांच बिठाने में अपनी असमर्थता जाहिर की है, जैसा कि अनेक श्रीलंकाई समूहों, मानवाधिकार परिषद के उच्चायुक्त तथा श्रीलंका पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिवों के विशेषज्ञ समूह द्वारा श्रीलंका में युद्ध के अंतिम दिनों में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) तथा श्रीलंकाई सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराधों तथा मानवाधिकार हनन के खिलाफ जांच की मांग की जा रही थी।"
मानवाधिकार परिषद के वक्तव्य में आगे कहा गया है, "श्रीलंका में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एक स्वतंत्र, अंतर्राष्ट्रीय जांच बिठाने की आवश्यकता है और जो अभी विलंबित है।"
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका कथित तौर पर 2009 में एलटीटीई के खिलाफ युद्ध के अंतिम दिनों में श्रीलंकाई सैन्य अभियान के तहत निर्दोष तमिल नागरिकों के मारे जाने के आरोप का बार-बार खंडन करता रहा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 21, 2013, 16:34