Last Updated: Wednesday, March 20, 2013, 20:36

जिनिवा/कोलंबो : श्रीलंका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पेश होने वाले अमेरिका समर्थित प्रस्ताव के अंतिम मसौदे पर तल्ख प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से ‘पक्षपातपूर्ण एवं राजनीति से प्रेरित’ है। श्रीलंकाई सरकार ने यह भी कहा है कि इस प्रस्ताव में इस्तेमाल की गई भाषा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवीनतम पिल्लै की ‘त्रूटिपूर्ण’ रिपोर्ट से ली गई है।
विदेश मंत्री जील एल पेइरिस ने प्रस्ताव पर श्रीलंका का रुख पेश करते हुए सदस्य देशों को भेजे संदेश में कहा, ‘‘श्रीलंका की स्थिति की ओर असंगत ध्यान आकषिर्त करना और देश को अपमानित करने तथा उसे अलग थलग करने के लिए प्रस्ताव पेश करना श्रीलंका की वर्तमान सुलह प्रक्रिया के लिए अनुपयोगी और प्रतिकूल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसे श्रीलंका मानवाधिकार परिषद के पिछले प्रस्ताव को मान्यता नहीं देता वैसे ही वह नये प्रस्ताव को भी खारिज करता है। श्रीलंका का इरादा है कि मानवाधिकार परिषद में 21 मार्च 2013 को प्रस्ताव का मसौदा पेश किये जाने पर वह मतदान कराने का अनुरोध करेगा।’’ श्रीलंका ने गत वर्ष भारत के समर्थन से पारित प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
उधर, जिनिवा में श्रीलंका के मानवाधिकार प्रतिनिधि महिंदा समरसिंघे ने अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें इस्तेमाल की गई भाषा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त की ‘त्रूटिपूर्ण’ रिपोर्ट से ली गई है। कल यूनएचआरसी में इस प्रताव पर मतदान होगा।
समरसिंघे जिनिवा में औपचारिक रूप से प्रस्ताव को पेश किए जाने से एक दिन पहले आज यूएनएचआरसी के सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव की विषयवस्तु और इसे तैयार करने की प्रक्रिया को लेकर श्रीलका कड़ी आपत्ति दर्ज कराने का इच्छुक है।
समरसिंघे ने कहा कि श्रीलंका सदस्य देशों से आग्रह करेगा कि वे इस रिपोर्ट की विषयवस्तु और दायरे का गंभीरता से आकलन करें ताकि अस्वस्थ परंपरा स्थापित नहीं हो।
पेइरिस ने कहा, ‘‘श्रीलंका चाहता है कि मानवाधिकार परिषद के सदस्य देश इस प्रस्ताव पर अपनी समझ मतदान के समय व्यक्त करें।’’ उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से विघटनकारी ताकतों को लाभ होगा जो श्रीलंका में कड़ी मेहनत से प्राप्त शांति को अस्थिर करना चाहते हैं।
पेइरिस ने चेतावनी दी कि ‘‘श्रीलंका पर अमेरिका समर्थित प्रस्ताव जैसे दखल देने वाली, पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित कार्रवाइयों की परंपरा से आगे जाकर सभी देशों के लिए खतरा उत्पन्न होगा। अमेरिका समर्थित प्रस्ताव का आस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, इटली, नार्वे, ब्रिटेन और कनाडा जैसे यूरोपीय संघ के सदस्य देश भी समर्थन कर रहे हैं।
अमेरिका ने ‘यूनीवर्सल पीरियोडिक रिव्यू’ की सिफारिशों को श्रीलंका द्वारा खारिज किये जाने पर निराशा जतायी थी, जिसमें श्रीलंका से आह्वान किया गया था कि वह स्वयं के सुलह समझौता समूह ‘लेसंस लन्र्ट एंड रिकांसिलिएशल कमीशन’ की सिफारिशों को लागू करे। इस बीच, श्रीलंकाई अधिकारियों ने आज कहा कि संभावना है कि प्रस्ताव को कमजोर किया जाए ताकि भारत का समर्थन प्राप्त किया जा सके। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 20, 2013, 20:36