Last Updated: Friday, June 22, 2012, 10:32

रियो डी जनेरियो : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए विकासशील देशों की मदद की खातिर अतिरिक्त वित्त और प्रौद्योगिकी मुहैया कराने के मुद्दे पर विकसित देशों की आलोचना की और कहा कि उनकी मदद के संबंध में ‘बहुत कम प्रमाण’ हैं। सिंह ने सतत जीवन के लिए नए रास्ते खोजने की भी जोरदार वकालत की क्योंकि औद्योगिक देशों में खपत की मौजूदा पद्धति टिकाऊ नहीं है।
सम्मेलन में अंतिम रूप दिए गए मसौदा बयान से स्पष्ट होता है कि विकसित देश गरीब अर्थव्यवस्थाओं के स्थायी विकास की खातिर वित्त पोषण के बारे में कोई आंकड़े तय करने में नाकाम रहे हैं। समूह 77 और चीन ने प्रति वर्ष 30 अरब डालर की मांग की थी। प्रधानमंत्री ने रियो प्लस 20 सम्मेलन के पूर्ण सत्र में अपने संबोधन के दौरान भारत के रूख को स्पष्ट रूप से उजागर किया। इस सम्मेलन को आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेलन के नाम से जाना जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्त और प्रौद्योगिकी मुहैया होने पर कई देश और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। दुर्भाग्य से उत्सर्जन तीव्रता कटौती जैसे क्षेत्र में उन्हें औद्योगिक देशों से मदद मिलने के संबंध में काफी कम प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट जारी रहने से स्थिति और खराब हो गई। सिंह ने आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण स्थिरता को स्थायी विकास के घटकों के रूप में समान रूप से महत्वपूर्ण बताया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह इस आर्किटेक्टर को इस प्रकार व्यावहारिक रूप दे जिससे हर देश अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थिति के अनुरूप प्रगति कर सके।
उन्होंने कहा कि रियो प्लस 20 सम्मेलन की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया में राजनीतिक उठापटक और गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति है। इस सम्मेलन में मनमोहन सिंह सहित दुनिया भर के 125 नेताओं ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि यह कठिन भले ही दिख रहा हो लेकिन हमें मौजूदा दौर में आने वाले खर्च तथा भविष्य की पीढ़ियों को होने वाले फायदे के बीच संतुलन की कल्पना करनी होगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, June 22, 2012, 10:32