Last Updated: Sunday, April 7, 2013, 18:27

बगदाद : बगदाद पर 9 अप्रैल 2003 को अमेरिका नीत सेना के नियंत्रण और सद्दाम शासन के पतन के एक दशक बाद भी इराक घातक हमलों और अंतहीन राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है। तब बगदाद के फिरदौस स्क्वायर पर सद्दाम की प्रतिमा गिराई गई थी जो राजधानी बगदाद के पतन का प्रतीक था। अब यह लोगों के लिए कोई भावुक मामला नहीं है।
इस प्रतिमा के गिराए जाने के साथ ही सद्दाम की सेना गायब हो चुकी थी और उसे हारा हुआ मान लिया गया था। फिरदौस चौक की चौक की घटना के गवाह और युद्ध की रिपोर्टिंग करने यहां पहुंचे विदेशी पत्रकारों की रिहाइश रहे पैलेसटाइन होटल के जनसंपर्क निदेशक जफर बेत्ती ने कहा, ‘‘उस क्षण हमें एहसास हुआ कि इराक सरकार गिरा दी गई है और अब हम अमेरिकी कब्जावरों के हाथों में हैं।’’ यह युद्ध तो अपेक्षाकृत छोटा रहा, क्योंकि इराक पर विदेशी सेना के हमले के छह सप्ताह के बाद ही अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने मिशन के पूरे होने की घोषण कर दी थी, लेकिन इसके बाद के दिन काफी खून खराबे वाले रहें।
यहां के शिया और सुन्नी छापामारों के हमलों से घिरे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेना को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। इराक युद्ध में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेना के 4,800 जवान मारे जा चुके हैं। मारे गए सैनिकों में से 90 फीसदी के करीब अमेरिकी थे।
सद्दाम शासन के पतन के बाद वहां आई राजनीतिक अस्थिरता से इराकी लोग तो इससे भी कहीं ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ब्रिटेन स्थित एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) इराक बॉडी काउंट के हालिया अनुमान के मुताबिक अमेरिकी आक्रमण के बाद के इस एक दशक के दौरान यहां कम से कम 1,12,000 इराकी नागरिकों सहित हजारों सैनिक और पुलिस के जवान मारे जा चुके हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 7, 2013, 18:27