Last Updated: Friday, May 11, 2012, 09:36
इस्लामाबाद : प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से अपील की है कि पाकिस्तान में बम विस्फोटों में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह के मृत्युदंड को मानवीय आधार पर आजीवन कारावास में बदला जाए। मृत्युदंड प्राप्त सरबजीत को लेकर बर्नी ने राष्ट्रपति को भेजे एक पत्र में कहा है कि ‘मानव गरिमा, न्याय व मानवाधिकार और व्यापक मानवीय हित में’ भारतीय नागरिक की संभावित फांसी पर रोक लगाई जाए और मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जाए।
बर्नी ने उल्लेख किया है कि सरबजीत की ओर से कई दया याचिकाएं उन्होंने प्रस्तुत की थीं। उन्होंने कहा है कि पहले ही जेल में लंबा समय गुजार चुके एक कैदी को फांसी देने का कोई भी कदम ‘न्याय की हत्या’ के बराबर ही होगा।
बर्नी ने अपने पत्र में कहा है कि मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा कि मौत प्रकोष्ठ में एक दिन सामान्य जेल में एक साल के समान होता है। गौरतलब है कि बर्नी ने यह प्रार्थना तब की है जब भारत के उच्चतम न्यायालय ने 82 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को अपने वतन जाने के लिए जमानत दे दी है।
चिश्ती भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए आए थे। चिश्ती पर अप्रैल 1992 में अजमेर में एक हत्या में शामिल होने का आरोप है। 18 साल मुकदमे के बाद पिछले साल जनवरी में चिश्ती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मानवाधिकार कार्यकर्ता ने लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद सरबजीत के बारे में दलील दी है कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला और वह गलत पहचान के एक मामले के पीड़ित हैं।
(एजेंसी)
First Published: Friday, May 11, 2012, 15:06