Last Updated: Tuesday, February 28, 2012, 11:20
लाहौर : पाकिस्तानी अदालत ने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की रिहाई से संबंधित याचिका के जवाब में गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी है। सरबजीत को 1990 के बम हमलों में कथित संलिप्पता को लेकर मौत की सज़ा सुनाई गई है और वह अभी पाकिस्तानी जेल में बंद है।
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मंजूर अहमद मलिक ने गृह मंत्रालय से 16 मार्च तक जवाब देने के लिए सोमवार को कहा। समय पर जवाब नहीं आने की स्थिति में अदालत इस मामले को गुण दोष के आधार पर देखेगी।
सरबजीत के वकील अवैस शेख ने अपने मुवक्किल का नाम पाकिस्तान की जेल में बंद उन विदेशी कैदियों की सूची में डालने की याचिका दायर की है जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं।
शेख ने इस संबंध में विदेश सचिव और कोट लखपत जेल के अधीक्षक को निर्देश देने की मांग की है। सरबजीत कोट लखपत जेल में बंद है।
जेल के अधीक्षक ने अदालत को इससे पहले बताया था कि सरबजीत के कारावास का समय एक साल पहले समाप्त हो चुका है, लेकिन उसके भाग्य का फैसला पाकिस्तानी सेना के जनरल मुख्यालय और राष्ट्रपति के निर्देशों पर होगा।
अधीक्षक ने कहा कि वह जनरल मुख्यालय के निर्देशों के प्रकाश में इस मुद्दे पर मार्गदर्शन की मांग करते हुए जेल के निरीक्षक और पंजाब प्रांत के गृह विभाग को चार बार लिख चुके हैं।
सरबजीत 1990 से जेल में बंद है। पाकिस्तान में चार बम विस्फोटों में सबरजीत के कथितरूप से शामिल होने के लिए उसे सैन्य अधिनियम के तहत मौत की सजा सुनाई गई थी। इन विस्फोटों में 14 लोगों की मौत हो गई थी। सरबजीत ने सैन्य प्रमुख को एक दया याचिका सौंपी थीं लेकिन इसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए।
अधीक्षक ने कहा, सिंह की सजा 30 अक्तूबर 2010 को खत्म हो गई और जनरल मुख्यालयों के निर्देशों के प्रकाश में उसकी दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया लेकिन अपील पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
सरबजीत को 2008 को फांसी दी जानी थी लेकिन इस मामले में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हस्तक्षेप के बाद फांसी को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 28, 2012, 16:50