Last Updated: Friday, November 23, 2012, 19:12

लंदन : आयरलैंड में चिकित्सकों की कथित उपेक्षा के कारण मौत का शिकार बनीं भारतीय महिला सविता हलप्पनवार के पति प्रवीण हलप्पनवार ने कहा है कि उन्हें उपलब्ध कराए गए मेडिकल नोट में गर्भपात करने संबंधी उनके आग्रह का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन चाय और टोस्ट से जुड़े आग्रहों का उल्लेख जरूर किया गया है।
प्रवीण ने कहा,‘उनके पास इसे छोड़कर सभी आग्रहों की जानकारी उपलब्ध है। मसलन चाय और टोस्ट अथवा अतिरिक्त कंबल की मांग जैसी बातें नोट में शामिल की गई हैं। परंतु गर्भपात करने के आग्रह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इसमें नहीं है।’
सविता का विस्तृत चिकित्सा विवरण गैलवे यूनिवर्सिटी हास्पिटल की ओर से प्रवीण को उपलब्ध कराया गया है। इसमें 22 अक्तूबर का चिकित्सकों के नोट नहीं हैं जिस दिन इस दंपति ने पहली बार गर्भपात करने का आग्रह किया था।
इसमें 23 अक्तूबर का नोट दिया गया है जिस पर सविता और उसके पति ने गर्भपात करने का कोई आग्रह नहीं किया था।
प्रवीण ने कहा कि इस घटना के कारण यहां की हेल्थ एंड सेफ्टी एक्जीक्यूटिव (एचएसई) में उनका विश्वास को खत्म हो गया है।
प्रवीण ने कहा,‘यह सविता के लिए सच्चाई और तथ्य सामने लाने का वक्त है। मुझे एचएसई में कोई विश्वास नहीं है। मैंने इस सप्ताह की शुरुआत में फाइलें देखीं। यह बड़ा झटका है और यही वजह थी कि हम एचएसई की जांच कभी नहीं चाहते थे।’
एचएसई के प्रमुख टोनी ओब्रायन ने स्वास्थ क्षेत्र पर निगरानी वाली संस्था ‘हेल्थ इनफारमेशन क्वालिटी अथॉरिटी’ (हिका) से अलग से जांच करने के लिए कहा है।
उधर, आयरलैंड के राष्ट्रपति माइकल डी हिगिंस ने गुरुवरा को मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि सविता की मौत की जांच पीड़ित परिवार और यहां की सरकारी व्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सविता की मौत की जांच से यह सुनिश्चित होना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान यहां महिलाएं सुरक्षित होंगी और उन्हें बेहतर चिकित्सा सेवा मिलेगी जिसकी वे हकदार हैं।
उन्होंने कहा,‘इस मामले की जांच लोगों की चिंता,पीड़ित परिवार की जरूरत और सरकारी व्यवस्था के अनुरूप होनी चाहिए।’
आयरलैंड के एचएसई ने सात सदस्यीय जांच दल में तीन नए लोगों को शामिल किया है। इन लोगों को गैलवे अस्पताल के तीन चिकित्सकों के स्थान पर शामिल किया गया है। प्रवीण ने एचएसई की जांच पर अविश्वास जाहिर करते हुए मामले में पूर्ण सार्वजनिक जांच की मांग की है। एचएसई ने अपनी जांच को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
बीते 28 अक्तूबर को 31 वर्षीय सविता हलप्पनवार की मौत गैलवे विश्वविद्यालय अस्पताल में रक्त विषाक्तता के कारण उस समय हो गई थी जब डाक्टरों ने उनका गर्भपात करने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि ‘यह एक कैथोलिक देश है’ और यहां गर्भपात की अनुमति नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 19:12