Last Updated: Saturday, January 14, 2012, 13:19
ज़ी न्यूज ब्यूरो/
एजेंसीइस्लामाबाद : सरकार और सेना के बीच तनावों के बीच प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने शनिवार को सेना प्रमुखों से कहा कि सशस्त्र सेनाएं राष्ट्र की मजबूती का स्तम्भ हैं और राष्ट्र की सुरक्षा करने में देश उनकी सेवाओं की प्रशंसा करता है। इसके पहले सैन्य प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात कर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत की।
समाचार पत्र 'डान न्यूज' के मुताबिक, सेना प्रमुख के अनुरोध पर यह बैठक हुई। सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति जरदारी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और मेमोगेट विवाद के बारे में चर्चा की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान मौजूदा सुरक्षा स्थिति के बारे में चर्चा की गई। समाचार एजेंसी 'ऑनलाइन' के मुताबिक, जरदारी और कयानी के बीच एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की अध्यक्षता में होने वाली रक्षा समिति की बैठक से पहले हुई।
कयानी ने कथित रूप से राष्ट्रपति से कहा कि उन्हें गिलानी द्वारा चीनी समाचार पत्र को दिए गए बयानों पर आपत्ति है। सेना प्रमुख ने कथित रूप से राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वह प्रधानमंत्री को अपना बयान वापस लेने के लिए कहें जो उन्होंने समाचार पत्र को दिया था। इस बीच, मंत्रिमंडल की रक्षा समिति की बैठक की अध्यक्षता गिलानी ने की। एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि बैठक में रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार, विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार, वित्त मंत्री अब्दुल हाफीज शेख, आंतरिक मंत्री रहमान मलिक, ज्वाइंट चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल खालिद शमीम, सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राव कमर सुलेमान और नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद आसिफ सैंडिला शामिल हुए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक बैठक में गत नवंबर में पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के हुए हवाई हमले पर अमेरिकी सेंट्रल कमांड की जांच रिपोर्ट पर चर्चा की गई। बैठक में गिलानी ने कहा, 'पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में देश के प्रत्येक संगठन और संस्थाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में अपनी भूमिका निभानी है।' उन्होंने कहा, 'सामाजिक-आर्थिक विकास और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए असैन्य संस्थाओं को अपनी भूमिका का निर्वाह करना है। इसी तरह अन्य संस्थाओं के सहयोग से हम देश का भाग्य बदल सकते हैं।' गिलानी ने कहा कि अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो बलों के साथ सहयोग की शर्तो की एक विस्तृत समीक्षा की जा रही है।
गिलानी ने कहा कि अमेरिका को भेजे गए 'गोपनीय संदेश' मामले की जांच कर रहे सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कयानी और पाशा ने सरकार की मंजूरी के बगैर अपना पक्ष रखा। गिलानी द्वारा आलोचना किए जाने पर सेना ने सरकार को 'गम्भीर परिणाम' की चेतावनी दी। इसके बाद सरकार और सेना के बीच टकराव बढ़ गया और देश में सैन्य तख्ता पटल की अटकलें तेज हो गईं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 15, 2012, 16:34