Last Updated: Saturday, August 31, 2013, 20:22
इस्लामाबाद/लाहौर : मुंबई आतंकवादी हमलों के सात संदिग्धों के खिलाफ सुनवायी को आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत हमले के गवाहों से जिरह करने के लिए आठ सदस्यीय पाकिस्तानी न्यायिक आयोग सात सिंतबर को भारत दौरे पर जाएगा। अभियोजकों ने सातों संदिग्धों के खिलाफ सुनवायी कर रही इस्लामाबाद की एक आतंकवाद-निरोधी अदालत को आज सूचित किया कि भारत सरकार की ओर से प्राप्त 23 अगस्त के एक पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग पांच-छह सितंबर को मुंबई दौरे पर आ सकता है। आरोपियों का बचाव कर रहे दल के सदस्य रियाज अकरम चीमा ने बताया कि आयोग भारत सरकार द्वारा निर्धारित तिथियों को यात्रा नहीं कर सकता क्योंकि उस अवधि में भारत के लिए कोई विमान (उड़ान) नहीं है।
चीमा ने कहा, आयोग सात सितंबर को दिल्ली के लिए रवाना होगा और उसे (मुंबई में) गवाहों से जिरह करने में कम से कम चार दिन का समय लगेगा। भारत सरकार के पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तानी आयोग द्वारा गवाहों के जिरह का समन्वय मुंबई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पी. वाई. यादव करेंगे। गवाहों में लश्कर-र-तैयबा सदस्य अजमल कसाब का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले न्यायाधीश, मुख्य जांच अधिकारी और नवंबर 2008 में मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों का पोस्टमार्टम करने वाले दो डॉक्टर हैं। यह आयोग की दूसरी भारत यात्रा होगा। आयोग द्वारा मार्च 2012 में सौंपी गयी पहली रिपोर्ट को आतंकवाद-निरोधी अदालत ने खारिज कर दिया था क्योंकि आयोग के सदस्यों को गवाहों से जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
अदालत को सूचित किया गया कि आयोग के सदस्यों में बचाव पक्ष के वकील ख्वाजा हैरिस अहमद, रियाज अकरम चीमा, फखर हयात अवान और राजा एहसान खान, अभियोजन पक्ष से हसनैन पीरजादा और एम. अजहर चौधरी, फेडरल इंवेस्टीगेशन एजेंसी के उपनिदेशक फकीर मोहम्मद और अब्दुल हामीद और अदालत के रेकार्ड अधिकारी शामिल हैं। न्यायाधीश अतीकुर रहमान ने अभियोजन को आदेश दिया कि वह मामले की अगली सुनवायी अर्थात् तीन सितंबर से पहले यात्रा के संबंध में गजट अधिसूचना जारी कराए।
उन्होंने पाकिस्तान सरकार को निर्देश दिया कि वह आयोग के दौरे के कार्यक्रम के संबंध में भारत सरकार को सूचित करे। मुंबई हमलों की सुनवायी एक महीने से ज्यादा अंतराल के बाद आज हुई। पिछली सुनवायी 22 जुलाई को हुई थी। नए न्यायाधीश अतीकुर रहमान ने मामले को सुना। सरकार ने इस मामले में नए मुख्य अभियोजक के तौर पर हसनैन पीरजादा की नियुक्ति की। उन्हें चौधरी जुल्फिकार अली के स्थान पर नियुक्त किया गया है। अली की करीब तीन महीने पहले इस्लामाबाद में आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
चीमा ने दो सुनवायी के बीच लंबे अंतराल की आलोचना करते हुए कहा कि शायद यह पहला अवसर है जब मामले की सुनवायी छह सप्ताह के लिए स्थगित की गई है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद-निरोधी अदालत किसी मामले की सुनवायी को दो सप्ताह से ज्यादा के लिए स्थगित नहीं कर सकती है।
लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लख्वी सहित सात आतंकवादियों पर मुंबई हमले की योजना बनाने, उसका वित्त पोषण करने और हमले को अंजाम देने का आरोप लगाया गया है । इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे। इस मामले की सुनवायी बिल्कुल कछुए की गति से चल रही है। भारत ने मामले की सुनवायी जल्दी पूरी करने की मांग की है। अभी तक पाकिस्तान ने यह स्वीकार किया है कि हमले की साजिश उसकी धरती पर की गई थी।
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के दूसरे दौरे के संबंध में समझौता पिछले वर्ष दिसंबर में इस्लामाबाद में हुआ था। भारतीय प्रतिनिधिमंडल और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच जटिल तकनीकी और कानूनी मसलों पर विभिन्न चरणों की वार्ता के बाद यह समझौता हुआ था। आयोग के भारत दौरे और गवाहों के साथ जिरह पूरी होने के बाद संभावना है कि पाकिस्तान भी भारत को मामले के संदिग्धों के संबंध में ऐसी ही अनुमति देगा।(एजेंसी)
First Published: Saturday, August 31, 2013, 20:22