Last Updated: Thursday, August 30, 2012, 18:26
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीतेहरान : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आंतकवाद और जनसंहारक हथियारों के प्रसार के खिलाफ समन्वित वैश्विक कार्रवाई की वकालत करते हुए गुटनिरपेक्ष देशों का आह्वान किया है कि वे इस दिशा में आगे बढ़ें तथा सीरिया को लेकर साफ रुख अख्तियार करें। मनमोहन ने कहा कि सीरिया में शांति बहाली अहम मसला है। सीरिया में बाहरी दखल के विरोध संबंधी भारत की आवाज को मुखर रूप से रखते हुए मनमोहन सिंह ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र, खासकर सीरिया के हालात का उल्लेख किया। वह तेहरान में गुरुवार को शुरू हुए गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में जुटे 50 से अधिक गुटनिरपेक्ष देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका का क्षेत्र बदलाव से गुजर रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत लोकतांत्रिक एवं बहुलतावादी व्यवस्था के लिए आकांक्षाओं का समर्थन करता है। इस तरह के बदलाव को बाहरी दखल से नहीं लाया जा सकता।’ मनमोहन ने कहा, ‘सीरिया की भयावह स्थिति चिंता का सबब है। हमारे इस संगठन को इस मामले को लेकर सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार्य सिद्धातों के आधार पर रुख अख्तियार करना चाहिए।’ उन्होंने सीरिया के सभी पक्षों से संकट का ऐसा शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की, जो सभी सीरियाई नागरिकों की आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, जनसंहारक हथियारों के प्रसार, समुद्री लूट की समस्या, साइबर सुरक्षा को बढ़ता खतरा और आर्थिक रूप से स्थायी विकास जारी रखने में आ रही मुश्किलों का सामना करने के लिए समन्वित वैश्विक कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार, वित्त और निवेश जैसे मुद्दों पर विकासशील देशों की बड़ी आवाज के बिना मौजूदा समस्याओं का समाधान प्रभावी रूप से नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वैश्विक शासन व्यवस्था में नए माध्यमों की जरूरत है क्योंकि मौजूदा माध्यम आर्थिक और राजनीतिक संकटों का समाधान करने में अपर्याप्त साबित हुए हैं।’ मनमोहन ने कहा, ‘हमारे इस संगठन को वैश्विक शासन व्यवस्था के ढांचे के निर्माण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह संगठन कई वैश्विक संस्थाओं मसलन सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और आईएमएफ में सुधार को लेकर कदम उठाने पर सहमति बना सकता है।’
उन्होंने कहा कि विकासशील देश वैश्विक प्रगति के अगुवा हो सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है। फलस्तीनी लोगों के प्रति नाम के समर्थन करते आने की परंपरा का उल्लेख करते हुए मनमोहन ने कहा, ‘आज हमें उस रुख को नए सिरे से दोहराना चाहिए कि हम फलस्तीन के सवाल के जल्द समाधान का समर्थन करते हैं। यह समाधान जरूरी है ताकि फलस्तीनी लोग अपने राष्ट्र में पूरी शांति और गरिमा के साथ रह सकें।’
उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्ष देशों का एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर आना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि ये सभी देश समस्याओं का सामना करने और समाधान में एक दूसरे का सहयोग करें। विकासशील देशों में सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के बड़े स्रोत का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें वैकल्पिक ऊर्जा के विकास के लिए अपने वित्तीय और बौद्धिक संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए।’
इससे पहले शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर अपने सम्बोधन में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खुमैनी ने कहा, `उनका देश परमाणु हथियार बनाने के प्रयास नहीं कर रहा है और वह कभी परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का हक नहीं छोड़ेगा।` समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार खुमैनी ने कहा, ईरान का नारा है, `सबके लिए परमाणु ऊर्जा, परमाणु हथियार किसी के लिए नहीं।` उन्होंने अपने देश के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ पश्चिमी देशों के दुष्प्रचार की आलोचना की और कहा कि कुछ पश्चिमी देश परमाणु ईंधन पर एकाधिकार चाहते हैं।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संरचना को अतार्किक, अन्यायपूर्ण और अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि दुनिया का नियंत्रण मुट्ठी भर तानाशाह ताकतों के हाथ में नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निरस्त्रीकरण आज की दुनिया की आवश्यकता है और उनका देश मध्य-पूर्व को परमाणु हथियारों से मुक्त करने का आह्वान करता है।
First Published: Thursday, August 30, 2012, 14:48