Last Updated: Wednesday, November 9, 2011, 15:42
वॉशिंगटन : अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी स्कूलों की किताबें अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ नफरत और असहिष्णुता को बढ़ावा देतीं हैं और शिक्षक धार्मिक अल्पसंख्यकों को इस्लाम के शत्रु की तरह देखते हैं।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान और सामाजिक अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें भारत और ब्रिटेन के संबंध में नकारात्मक टिप्पणियों से अटी पड़ी हैं, लेकिन लेखों और साक्षात्कार के जवाबों में अकसर हिंदुओं को खास आलोचना का निशाना बनाया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, यह असहिष्णुता और पूर्वाग्रह ईसाइयों और अहमदियों जैसे दीगर अल्पसंख्यकों के प्रति भी है जो खुद को मुसलमान मानते हैं लेकिन पाकिस्तानी संविधान जिन्हें मुसलमान नहीं मानता।
आयोग ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों के इस्लामीकरण की शुरूआत अमेरिका समर्थित तानाशाह जिया-उल-हक के सैन्य शासन काल में हुई। जिया ने अपने शासन के लिए इस्लामवादियों की हिमायत ली। आयोग के अध्यक्ष लियोनार्ड लियो ने कहा, भेदभाव का पाठ पढ़ाने से पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरपंथियों की हिंसा के लगातार बढ़ने, धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय तथा धार्मिक स्थायित्व एवं वैश्विक सुरक्षा के कमजोर होने की आशंका ज्यादा है। लियो ने आगाह किया है कि शिक्षा में भेदभाव से यह आशंका बढ़ेगी कि पाकिस्तान में हिंसक धार्मिक उग्रवाद का बढ़ना जारी रहेगा और इससे धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्थिरता तथा वैश्विक सुरक्षा कमजोर होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि इतिहास की पूर्वाग्रह रहित समीक्षा दिखाएगी कि हिंदू और मुसलमान के बीच सदियों से सदभावनापूर्ण सहअस्तित्व रहा है, हिंदुओं को बार-बार उग्रवादी और इस्लाम का दुश्मन बताया गया है। आयोग ने अपनी 139 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि 2006 में सरकार ने पाठ्यक्रम में सुधार की अपनी योजना की घोषणा की थी, लेकिन वस्तुत: कट्टरपंथियों के दबाव में इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 9, 2011, 21:14