हेडली और राणा का प्रत्यर्पण मुश्किल - Zee News हिंदी

हेडली और राणा का प्रत्यर्पण मुश्किल

वाशिंगटन:  मुंबई हमलों के सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत में पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड हेडली और पाकिस्तानी-कनाडाई तहव्वुर राणा की पेशगी भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत एक मुख्य अड़चन है क्योंकि यह उस व्यक्ति की सुपुर्दगी की इजाजत नहीं देती जो पहले ही उस अपराध के लिये दोषी ठहराया जा चुका हो अथवा बरी हो चुका हो ।

 

राणा के एटर्नी पेट्रिक ब्लेगन ने बताया ‘ भारत और अमेरिका के बीच संधि (1997 की प्रत्यर्पण) राणा के प्रत्यर्पण को रोकती है । यहां की अदालत इसकी इजाजत नहीं देगी । राणा को मुंबई हमले के आरोपों से अमेरिका में बरी कर दिया गया है । ’ ब्लेगन दिल्ली की एक अदालत द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी  को दिये गये उस आदेश का जवाब दे रहे थे जिसमें हेडली और राणा को 13 मार्च को उसके समक्ष पेश होने को कहा गया है ।

 

लस्कर-ए-तैयबा के लिये काम करने वाले 51 वर्षीय हेडली और उसके बचपन के दोस्त राणा इस समय शिकागो की जेल में हैं और अपनी सजा का इंतजार कर रहे हैं ।

 

अमेरिका में भारत की राजदूत निरूपमा राव ने मंगलवार को अमेरिकी एटर्नी जनरल एरिक होल्डर से इस संबंध में मुलाकात की और उन्हें मदद का आश्वासन मिला । ब्लेगन ने लेकिन दलील दी कि मौजूदा प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत को सौंपना संभव नहीं है । उन्होंने कहा कि मुंबई हमला साजिश के लिये राणा को दोषी नहीं ठहराया गया है ।

 

हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी दलील पिछले कुछ दिन में आयी रिपोर्ट पर है अन्यथा उन्हें अथवा उनके मुवक्किल किसी को भी इस सिलसिले में कोई लिखित सूचना नहीं मिली है ।

 

समझा जाता है कि हेडली भी इसी दलील के साथ बचाव करेगा कि मुंबई आतंकवादी हमले में उसकी संलिप्तता के लिये उसे दोषी ठहराया जा चुका है और वह सजा का इंतजार कर रहा है ।

 

सूत्रों के अनुसार इसतरह उसे भी प्रत्यपर्पित नहीं किया जा सकता । कानूनी मामलों के जानकार एक सूत्र ने कहा ‘ वह कहेगा देखो मुझे दोषी ठहराया जा चुका है और दो देश आपको दो बार दोषी नहीं ठहरा सकते और सजा नहीं दे सकते।’

 

मुद्दे से वाकिफ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है हेडली प्रत्यर्पण के खिलाफ मार्च 2010 में हुए उस समझौते का हवाला दे सकता है जिसके तहत सजा से बचने के लिये उसने जुर्म स्वीकार किया था । यह समझौता उसे प्रत्यर्पण से रोक सकता है ।  (एजेंसी)

First Published: Thursday, February 23, 2012, 16:18

comments powered by Disqus