Last Updated: Monday, September 16, 2013, 20:34

नई दिल्ली : अपनी 5,000 किलोमीटर मारक क्षमता के साथ पूरे चीन और यूरोप तक पहुंच बना सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 दो साल में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार होगी और इस बीच डीआरडीओ ने कहा कि वह 10,000 किलोमीटर क्षमता वाली मिसाइल का निर्माण कर सकता है।
मंगलवार को आयोजित होने वाले एक सेमिनार के संबंध में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डीआरडीओ के प्रमुख अविनाश चंद्र ने कहा कि परमाणु हमले की स्थिति में देश के शस्त्र भंडार में मौजूद सभी बैलिस्टिक मिसाइलों को कैनिस्टर में रखा जाएगा ताकि प्रतिक्रिया का समय कम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत तक देश की पहली स्वदेश निर्मित परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत नौसेना में शस्त्रों के शामिल होने के लिहाज से परीक्षण करेगी।
चंद्र ने कहा, ‘दरअसल मारक क्षमता मिसाइल के लिए कम समस्या वाली बात है। हमारे पास किसी भी रेंज तक जाने की पूरी क्षमता है। अगर हमें किसी क्षमता विशेष तक पहुंचना है तो हम दो से ढाई साल में उसे हासिल कर सकते हैं।’
डीआरडीओ अध्यक्ष से पूछा गया था कि क्या संस्थान सरकार की मंजूरी मिलने पर 10,000 किलोमीटर क्षमता की मिसाइल बना सकेगा।
अग्नि-5 मिसाइल का दूसरी बार सफल परीक्षण रविवार को किया गया। इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए चंद्र ने कहा, ‘मिसाइल को कैनिस्टर्स से तीन चार और सफल परीक्षणों के बाद अगले कुछ सालों में सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा।’ भारत परमाणु हथियारों के लिए ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की नीति रखता है जिसका मतलब है कि उसके पास किसी शत्रु देश के हमले की स्थिति में तत्काल और मजबूत जवाबी कार्रवाई की क्षमता होनी चाहिए।
जब डीआरडीओ प्रमुख से पूछा गया कि क्या अग्नि-5 की क्षमता से अधिक क्षमता वाली मिसाइलों की जरूरत है तो उन्होंने कहा, ‘आज की तारीख में हमें नहीं लगता कि हमें उसकी क्षमता की जरूरत है लेकिन अगर जरूरत हुई तो यह किया जा सकता है।’
भारत अब अग्नि-5 मिसाइल को अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) की श्रेणी में क्यों रखना चाहता है जबकि वह पहले ऐसा नहीं चाहता था, इस पर डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि दुनियाभर में 5,000 से 5,500 किलोमीटर क्षमता वाली मिसाइलों को आईसीबीएम कहा जाता है।
क्या रविवार के परीक्षण से पहले अग्नि-5 की दूरमापी और प्रणालियों को लेकर कोई समस्या थी, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कुछ दिक्कतें थीं लेकिन संगठन ने परीक्षण किया क्योंकि ये शस्त्र प्रणाली के प्रदर्शन से जुड़ी नहीं थीं।
700 किलोमीटर क्षमता वाली के-15 पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण समेत आईएनएस अरिहंत से होने वाले परीक्षणों के संबंध में चंद्र ने कहा कि यह स्वेदश निर्मित पनडुब्बी के साथ एकीकरण के लिए तैयार है।
अरिहंत के समुद्री परीक्षणों के बारे में डीआरडीओ प्रमुख ने कहा, ‘अनेक गतिविधियों को लेकर पूरी योजना है जिसमें मिसाइलों का प्रक्षेपण और उसमें मौजूद प्रणालियों का प्रमाणीकरण शामिल है।’ एक सवाल के जवाब में चंद्र ने कहा कि इस समय अग्नि-6 जैसे किसी कार्यक्रम की योजना नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 16, 2013, 20:30