Last Updated: Monday, December 12, 2011, 03:27
ज़ी न्यूज ब्यूरोसोमवार को नई दिल्ली 100 साल की हो गई। 100 साल पहले 12 दिसंबर के दिन अंग्रेजों ने भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली लाने का फैसला किया था।
भारत के तत्कालीन शासक किंग जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को बुराड़ी में सजे दरबार में नई राजधानी की घोषणा की थी। किंग जॉर्ज पंचम के इस फैसले ने दिल्ली की तकदीर ही बदल दी।
दिल्ली को न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर नई पहचान मिली। साल 1911 में दिल्ली एक ढहता हुआ पुराना शहर था। चारदीवारी से घिरे शहर के बाहर केवल गांव और कुतुब-निजामुद्दीन की दरगाह के पास कुछ बस्तियां ही थीं। लेकिन 1911 से 1931 तक दिल्ली में नई राजधानी बन गई।
सौ साल पहले 12 दिसंबर को जॉर्ज पंचम का कोरोनेशन पार्क में भारत के नए सम्राट के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। समारोह खत्म होने के तुरंत बाद ही जॉर्ज ने इस घोषणा से सबको चौंका दिया, हमने फैसला किया है कि भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली लाई जाए। 1911 में दिल्ली एक ढहता हुआ पुराना शहर था।
एडवर्ड लुटियन और हरबर्ट बेकर की देखरेख में 1911 से 1931 के मध्य नई राजधानी ने आकार लिया। लुटियंस और बेकर ने इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन सहित नई दिल्ली को एक आधुनिक रूप दिया। दिल्ली कुल आठ शहरों को मिलाकर बनी है।
दिल्ली के सौ साल पूरे होने पर राजधानी ने पूरे साल जश्न मनाया। पूरे साल यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें देश और विदेश के कई कलाकारों ने शिरकत की।
दिल्ली का अपना इतिहास करीब 3,000 साल पुराना है। माना जाता है कि पांडवों ने इंद्रप्रस्थ का किला यमुना किनारे बनाया था, लगभग उसी जगह जहां आज मुगल जमाने में बना पुराना किला खड़ा है। हर शासक ने दिल्ली को अपनी राजधानी के तौर पर अलग पहचान दी। कई बार इस शहर पर हमले भी हुए।
शासन के बदलने के साथ-साथ, हर सुल्तान ने इलाके के एक हिस्से पर अपना किला बनाया। उसे एक नाम दिया। मेहरौली के पास लाल कोट में आठवीं शताब्दी में तोमर खानदान ने अपना राज्य स्थापित किया था। 10वीं शताब्दी में राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान ने किला राय पिथौरा के साथ पहली बार दिल्ली को एक पहचान दी।
First Published: Tuesday, December 13, 2011, 13:09