16 नहीं 18 साल ही रहेगी रजामंदी से सेक्स की उम्र!

18 साल ही रहेगी रजामंदी से सेक्स की उम्र

18 साल ही रहेगी रजामंदी से सेक्स की उम्रनई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को दुष्कर्म रोधी विधेयक पेश करने से ठीक एक दिन पहले इस मुद्दे पर सोमवार की सुबह जहां सर्वदलीय बैठक हुई, वहीं सोमवार की शाम को मंत्रिमंडल ने भी बैठक कर दुष्कर्म रोधी विधेयक पर विस्तार से चर्चा की। मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने सहमति से यौन संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर 18 वर्ष करने पर अपनी मंजूरी दे दी। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक समाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि विधेयक के इस प्रावधान का दुरुपयोग किया जा सकता था।

सर्वदलीय बैठक में सहमति की उम्र पर सर्वसम्मति बन जाने के बाद एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को 'बलात्कार' माना जाएगा। सूत्रों के अनुसार यौन अपराध करने वाले नाबालिग बच्चे को पहले अपराध के लिए दंड स्वरूप एक वर्ष की परिवीक्षा से गुजरना होगा, लेकिन दूसरी बार इसी तरह का अपराध करने पर उस पर 'बलात्कार' का मामला दर्ज किया जाएगा। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की अध्यक्ष कविता कृष्णन ने कहा कि आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2013 के इस प्रावधान का दुरुपयोग किया जा सकता था।

कविता ने कहा, सर्वदलीय बैठक में स्पष्ट तौर पर यह निर्णय लिया गया कि सहमति की उम्र 18 वर्ष होगी लेकिन किसी नाबालिग बच्चे द्वारा सहमति से संबंध बनाए जाने पर पहली बार उसे परिवीक्षा से गुजरना होगा। सुरक्षा की दृष्टि से यह एकदम अपर्याप्त है, चूंकि कोई भी तीसरा व्यक्ति जैसे उनके परिजन या खाप पंचायतें, उस पर परिवीक्षा के उल्लंघन का आरोप लगा सकती हैं और उसे 'बलात्कार' के अपराध में सजा दिलवा सकती हैं। महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली कविता ने कहा कि सहमति की उम्र 18 वर्ष रहने दिए जाने के प्रावधान का अनुसूचित वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, सहमति की उम्र से कम उम्र में सहमति से संबंध बनाने को न्यायिक प्रक्रिया के तहत बचाव के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। अगर इसे 18 वर्ष कर दिया जाता है तो नवयुवकों, विशेषकर अनुसूचित वर्ग के, को सहमति से बनाए गए संबंधों के लिए भी 'बलात्कार' का अपराधी ठहराया जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील के अनुसार सहमति की उम्र पर विवाद पिछले वर्ष मई में तब शुरू हुआ जब भारतीय दंड संहिता में सहमति की उम्र को 16 वर्ष से बढ़ाकर बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम-2012 में 18 वर्ष कर दिया गया। वह कहते हैं कि अब सरकार को कोई एक अंतिम निर्णय ले लेना चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विधेयक पेश करने के साथ ही सरकार इस मुद्दे पर संशोधन प्रस्ताव लाएगी। विधेयक में 'बलात्कार' के दुर्लभतम मामले में तथा बार-बार किए जाने की स्थिति में मृत्यु की सजा का प्रावधान भी किया गया है। इस विधेयक का प्रारूप तैयार करने में न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा द्वारा दुष्कर्म रोधी विधेयक को सख्त बनाने के लिए दिए गए सिफारिशों को भी शामिल किया गया है।यह दुष्कर्म रोधी विधेयक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा तीन फरवरी को लागू किए गए अध्यादेश की जगह स्थापित होगा। इस विधेयक को चार अप्रैल को पारित किए जाने की योजना है। (एजेंसी)

First Published: Monday, March 18, 2013, 14:30

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