Last Updated: Tuesday, July 23, 2013, 22:29

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने मंगलवार को पार्टी की मीडिया बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी एक मुद्दा बनेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह सवाल उठा कि मोदी से मिल रही चुनौतियों को कैसे निपटा जाए। तिवारी इसका जवाब दे रहे थे। तिवारी ने कहा कि कार्पोरेट जगत मोदी को प्रभावी रूप से पेश करने के लिए टेलीविजन चैनलों का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को इन चुनौतियों का मजबूती से मुकाबला करना होगा।
तिवारी ने ‘धर्मनिरपेक्षता के एजेंडा’ को आगे बढ़ाने की जोरदार वकालत की और पार्टी प्रवक्ताओं से कहा कि वे धर्मनिरपेक्षता से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात जोरदार तरीके से रखें।
पार्टी में इस चर्चा के बीच यह रुख सामने आया है कि नरेंद्र मोदी को महत्वपूर्ण भूमिका देने वाली भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में सांप्रदायिकता के मुद्दे पर ध्रुवीकरण का प्रयास कर सकती है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने राज्यों के नए प्रवक्ताओं और युवक कांग्रेस तथा एनएसयूआई के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि सांप्रदायिकता पर बोलते समय उन्हें नरमी नहीं दिखानी चाहिए और इस संबंध में कोई समझौता नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि तिवारी ने कहा कि कांग्रेस का जोर धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता से मुकाबले पर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इस एजेंडा से नहीं हटना चाहिए। मंत्री ने प्रवक्ताओं से कम से कम तीन घंटे तक अध्ययन करने को भी कहा ताकि वे समसामयिक मुद्दों से भलीभांति अवगत रहें।
तिवारी ‘इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए तैयारियां’ सत्र को संबोधित कर रहे थे वहीं संदीप दीक्षित ने अनुसंधान और दीपेंदर हुड्डा ने सोशल मीडिया विषय पर उन्हें संबोधित किया। दो दिवसीय मीडिया वर्कशाप के आखिरी दिन मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया। अक्सर ट्विट करने वाले थरूर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उन्हें संबोधित किया।
संयुक्त राष्ट्र में अवर महासचिव रह चुके थरूर ने ‘क्या करें और क्या नहीं करें’ की सलाह देते हुए राहुल गांधी की ‘सकारात्मक राजनीति’ की विचारधारा तथा ‘शालीन भाषा’ का जिक्र किया। सूत्रों के अनुसार उन्होंने कहा कि कांग्रेस मीडिया टीम को सोशल मीडिया पर विपक्ष के दुष्प्रचार का तथ्यों और आंकड़ों के साथ मुकाबला करना चाहिए। लेकिन उन्हें अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जैसा दूसरी ओर से किया जा रहा है।
अपने सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए दीक्षित ने पार्टी के पास मौजूद शोध सामग्री का इस्तेमाल किए जाने पर जोर दिया और विपक्ष के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए आरटीआई सहित विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी और अनुसंधान का इस्तेमाल करने की सलाह दी।
दीक्षित ने कहा कि पार्टी प्रवक्ताओं को संप्रग सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे मनरेगा, नकद लाभ अंतरण :डीबीटी: और खाद्य सुरक्षा आदि से जुड़े आंकड़ों से अवगत रहना चाहिए। कांग्रेस के 36 टेलीविजन पैनलिस्ट में से एक संजय झा ने प्रतिभागियों को टीवी बहस के बारे में नुस्खे दिए।
व्याख्यान सत्र के बाद प्रतिभागी समूह परिचर्चा में भाग लेंगे। बैठक का उद्देश्य राज्यों के अलावा केंद्रीय स्तर पर प्रवक्ताओं के चयन के साथ ही सभी राज्यों में मीडिया विभागों की स्थापना है जिसमें अनुसंधान, सामग्री और प्रसार का अलग प्रकोष्ठ होगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 23, 2013, 22:29