Last Updated: Friday, March 16, 2012, 09:49
मुंबई : मुंबई में 26/11 हमले के मामले में दो मुख्य गवाहों के बयान दर्ज करने आया पाकिस्तानी न्यायिक आयोग अब गवाहों से जिरह करना चाहता है जबकि भारत ने इस कदम का विरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी पैनल हमले में जीवित एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब का इकबालिया बयान रिकॉर्ड करने वाले न्यायाधीश सहित दो गवाहों से जिरह करने पर जोर दे रहा है।
इस मांग का विरोध करते हुए सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि जब पाकिस्तान सरकार ने नवंबर 2010 में केवल गवाहों के बयान दर्ज करने पर सहमति जताई थी तो अब आयोग गवाहों से जिरह क्यों करना चाहता है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान दल के साथ आए बचाव पक्ष के वकीलों और निकम के बीच ‘बहस’ हो गई।
आठ सदस्यीय आयोग कसाब का इकबालिया बयान रिकॉर्ड करने वाले न्यायाधीश आर.वी. सावंत वाघुले और अपराध शाखा के अधिकारी तथा मुंबई हमला मामले के जांच अधिकारी रमेश महाले के बयान रिकार्ड करेगा। दो चिकित्सा अधिकारियों डॉ. गणेश नीतूकर और शैलेश मोहित के बयान शनिवार को रिकार्ड किए जाएंगे।
दोनों डॉक्टरों ने मारे गए 9 आतंकवादियों और हमले में मारे गए लोगों के शवों का पोस्टमॉर्टम किया था। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादियों ने करीब 72 घंटे तक कहर ढाया था जिसमें 166 लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे। आयोग में बचाव पक्ष के वकील ख्वाजा हैरिस, रियाज अकरम चौधरी, फखर हयात, रजा एहसान उल्हाखान और इसाम बिन हैरिस, दो विशेष सरकारी वकील चौधरी मोहम्मद अजहर और चौधरी अली तथा अदालत के अधिकारी आजाद खान शामिल हैं।
मुंबई हमला मामले के विशेष सरकारी वकील निकम उन भारतीय अधिकारियों की सहायता कर रहे हैं जिनसे पाकिस्तानी पैनल को पूछताछ करनी है। यह पैनल पाकिस्तान की उस आतंकवाद निरोधक अदालत की ओर से चार गवाहों के बयान रिकार्ड करने के लिए भारत आया है जो मुंबई हमला मामले के सिलसिले में लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी तथा छह अन्य संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई कर रही है। चारों गवाहों के बयान सुनवाई में आरोपियों के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किए जाएंगे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, March 16, 2012, 15:23