Last Updated: Sunday, October 21, 2012, 14:44
नई दिल्ली : 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के गवाहों से जिरह के लिए पाकिस्तान के न्यायिक आयोग को दोबारा यहां यात्रा की इजाजत भारत संभवत: तब तक नहीं देगा जब तक एनआईए के दल को पहले पाकिस्तान जाकर वहां के आयोग की यात्रा की जरूरत का पता लगाने नहीं दिया जाता।
भारत लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य समेत 26/11 के आतंकवादी हमले के गिरफ्तारी आरोपियों के खिलाफ इकट्ठे किए गए सबूतों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दल को पाकिस्तान भेजना चाहता है। इन सभी के खिलाफ रावलपिंडी की अदालत में मुकदमा चल रहा है।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार भारत यह भी जानना चाहता है कि पाकिस्तानी अदालत दोनों संप्रभु देशों के बीच द्विपक्षीय संधि स्वीकार करने के अंतरराष्ट्रीय समझौते को मानने के लिए तैयार क्यों नहीं है।
आठ सदस्यीय पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने द्विपक्षीय सहमति के बाद भारत का दौरा किया था। सहमति के मुताबिक आयोग को कसाब का बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट से, मामले के जांचकर्ता अधिकारी से और मारे गए आतंकवादियों का पोस्टमार्टम करने वाले दो डॉक्टरों से पूछताछ नहीं करनी थी।
हालांकि, जब 26/11 के मामले को देख रही पाकिस्तानी अदालत ने कहा था कि आयोग द्वारा मार्च में भारत के पहले दौरे के समय एकत्रित किए गए सबूतों का मुंबई आतंकी हमले में शामिल लोगों को दंडित करने के लिहाज से कोई मूल्य नहीं है तो पाकिस्तान ने भारत से कहा था कि उसके आयोग को फिर मुंबई आने की इजाजत दी जाए।
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने मार्च में भारत का दौरा किया था जिसमें अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील शामिल थे। पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की दोबारा भारत यात्रा की इजाजत की संभावना पर एक अधिकारी ने कहा, जब तक एनआईए के दल को पाकिस्तान जाने की और पाकिस्तानी आयोग की दूसरी यात्रा की जरूरत को समझने की इजाजत नहीं दी जाती तब तक हमारे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है।
जब गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पिछले महीने मालदीव में दक्षेस देशों के मंत्रियों के सम्मेलन से इतर अपने पाकिस्तानी समकक्ष रहमान मलिक से मुलाकात की थी तो एनआईए दल को पाकिस्तान भेजने के लिए भारत की ओर से इच्छा जताई थी।
शिंदे ने मलिक से कहा था कि एनआईए के दल को पाकिस्तान यात्रा की इजाजत देनी चाहिए ताकि वह पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा इकट्ठे किए गए सबूतों की पड़ताल कर सके और मुख्य आरोपियों को दोषी करार देने में हो रही अत्यधिक देरी के कारण समझ सके।
एनआईए को एफआईए से यह भी पता लगाना है कि लश्कर संस्थापक और साजिशकर्ता हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई और मुंबई आतंकवादी हमले की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में शामिल लोगों के आवाज के नमूने देने में क्या समस्या है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 21, 2012, 14:36