जेपीसी की बैठक में बीजेपी के शामिल होने सवालिया निशान

2जी घोटाला: जेपीसी की बैठक का बीजेपी ने बहिष्कार किया

2जी घोटाला: जेपीसी की बैठक का बीजेपी ने बहिष्कार कियानई दिल्ली: 2जी मामले में आज हुई संयुक्त संसदीय बैठक का बीजेपी ने फिर बहिष्कार किया है।


पूर्व वित्त मंत्री और जेपीसी के भाजपा सदस्य यशवंत सिन्हा ने चाको को पत्र लिख कर कहा है कि समिति विशेष प्रकृति की है और वह स्वयं नए मानक तय कर सकती है। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि टू जी मामले में प्रधानमंत्री ने कुछ फैसले किए थे जिनके बारे में केवल वही बता सकते हैं।


सिन्हा ने पत्र में कहा, मेरे विचार से, इस बारे में कोई विवाद नहीं हो सकता कि घोटाला असामान्य प्रकृति का है और समिति को अलग प्रक्रिया अपनाने का अधिकार है जैसा कि पूर्व में अन्य जेपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से किया।


उन्होंने तर्क दिया कि सिंह ने इसी मुद्दे पर संसद की लोकलेखा समिति के सामने उपस्थित होने की पेशकश की थी और उन्हें जेपीसी के समक्ष गवाही देने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।


भाजपा सदस्य ने चाको को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि वह तब तक जेपीसी की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे जब तक गवाहों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जाता और प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को नहीं बुलाया जाता है।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा चिदंबरम को समिति के समक्ष बुलाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर देने पर कल की बैठक में यह मामला फिर उठेगा। इस मुद्दे को लेकर पी सी चाको की अध्यक्षता वाली जेपीसी में गहरा मतभेद है।

समिति में भाजपा के छह सदस्य प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चिदंबरम को गवाह के तौर पर बुलाने के लिए जोर दे रहे हैं जबकि वाम दल और बसपा सिर्फ वित्त मंत्री को बुलाने के पक्ष में हैं। चाको ने प्रधानमंत्री को समिति के समक्ष बुलाने की मांग खारिज कर दी है।


जेपीसी की पिछली बैठक 11 अक्तूबर को हुई थी। इसमें समिति के भाजपा सदस्यों ने गवाहों की सूची को अंतिम रूप देने और प्रधानमंत्री तथा चिदंबरम को इसमें शामिल करने से चाको के इंकार के विरोध में बैठक का बहिष्कार किया था। लोकसभा अध्यक्ष ने चाको से कहा है कि इस मुद्दे पर समिति पहले खुद कोई फैसला करे और अभी उनका हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी।

टू जी मामले में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को जेपीसी में बतौर गवाह बुलाने की मांग पर जोर दे रही भाजपा का कहना है कि समिति को इन्हें बुलाने के लिए संसदीय प्रक्रिया के नियमों में परिवर्तन करने का अधिकार है।
बहरहाल, कांग्रेस को टू जी मामले की जांच कर रही जेपीसी के सामने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को बुलाने की भाजपा की मांग के पीछे टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हिस्सेदारी रखने वाले उद्योग घरानों को बचाने का प्रयास नजर आता है।


कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा ‘ जेपीसी में जांच का दायरा 1998 से 2009 तक है। इस प्रक्रिया में तीन पक्ष कार्यपालिका, नियामक और कारपोरेट हैं। कार्यपालिका और नियामकों से गहन पूछताछ हुई लेकिन उद्योग जगत से जुड़े लोगों से पूछताछ नहीं हुई। मंत्रियों को तलब करने की मांग उद्योग जगत के लोगों को बचाने का जरिया हो सकती है।’

तिवारी भी जेपीसी के सदस्य हैं। उन्होंने समिति की पिछली बैठक में मांग की थी कि नीरा राडिया के टेपों की लिखित प्रतिलिपी जेपीसी के समक्ष मुहैया कराई जाए ताकि राजनीतिकों और उद्योग घरानों की सांठगांठ को समझा जा सके। आज समिति की बैठक में पूर्व मंत्रिमंडलीय सचिव के एम चंद्रशेखर गवाह के तौर पर पेश होंगे। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 18, 2012, 08:37

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