2जी घोटाले में तीसरा आरोपपत्र दाखिल - Zee News हिंदी

2जी घोटाले में तीसरा आरोपपत्र दाखिल



 

नई दिल्‍ली : सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से संबंधित तीसरा आरोपपत्र दाखिल कर दिया। सीबीआई ने एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुइया और अंशुमान रुइया सहित पांच लोगों के खिलाफ 2जी मामले में मुकदमा चलाने का अदालत से आग्रह किया।

 

एस्सार समूह के निदेशक (रणनीति और योजना) विकास सर्राफ, लूप टेलीकाम की प्रवर्तक किरण खेतान तथा उनके पति आईपी खेतान को भी मामले में आरोपी बनाया गया। एस्सार समूह तथा लूप टेलीकाम भी इस आरोपपत्र में नामित हैं। पांचों आरोपियों तथा दोनों कंपनियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) तथा 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाया गया है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी जल्दी ही इस तीसरे आरोपपत्र पर संज्ञान लेंगे।

 

उधर, एस्सार समूह ने बयान जारी कर सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह इस इनका कानूनी रूप से सामना करेगी। कंपनी ने कहा है कि यह मामला अनुबंध की व्याख्या का मुद्दा भर है। 105 पृष्ठ के आरोपपत्र के साथ सीबीआई ने पांच ट्रंक में लाए गए 398 दस्तावेज विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष जमा कराया। न्यायाधीश 17 दिसंबर को आरोपपत्र पर संज्ञान लेंगे। आरोप़-पत्र में 100 गवाह के नाम हैं। इस मामले में सीबीआई की तरफ से दायर यह तीसरा आरोपपत्र है।

 

सीबीआई ने आरोप लगाया कि एस्सार पहले से ही दूरसंचार सेवा कारोबार कर रही थी। उसने अतिरिक्त स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए लूप टेलीकाम नाम से मुखौटा कंपनी का गठन किया जो कि दूरसंचार नीति का उल्लंघन था। बहरहाल, एस्सार समूह कहता रहा है कि उसकी लूप टेलीकाम में 10 प्रतिशत के लगभग या उससे उपर की हिस्सेदारी नहीं रही है। उसकी हिस्सेदारी महज 2.15 प्रतिशत रही है और उसने एकीकृत सेवा लाइसेंस (यूएएसएल) के दिशानिर्देशों के उपबंध आठ का काई उल्लंघन नहीं किया है।

 

इससे पहले, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि एस्सार तथा लूप के खिलाफ आरोपपत्र इस वर्ष सितंबर के अंत तक दाखिल किया जाएगा लेकिन एजेंसी के भीतर इस मामले में अलग-अलग राय के कारण ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि सीबीआई में निदेशक (अभियोजन) एस्सार तथा लूप के खिलाफ आरोपपत्र के पक्ष में नहीं थे, लेकिन एजेंसी के निदेशक ए पी सिंह तथा जांच अधिकारी कंपनियों एवं उसके प्रवर्तकों के खिलाफ अभियोजन चलाए जाने के पक्ष में थे।

 

रूइया तथा खेतान के खिलाफ मामले पर विवाद रहा क्योंकि कंपनी मंत्रालय की राय थी कि एस्सार समूह की लूप टेलीकाम में 10 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी है। सीबीआई के निदेशक मुद्दे को सलाह के महान्यायवादी जीई वाहनवती के पास भेजा था जिन्होंने मामले में आरोपपत्र दाखिल करने का पक्ष लिया। बहरहाल, वाहनवती की राय को कंपनी मामलों के तत्कालीन मंत्री तथा इस समय के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने खारिज कर दिया था।

(एजेंसी)

First Published: Monday, December 12, 2011, 21:38

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