Last Updated: Saturday, September 24, 2011, 04:32
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में अब नया मोड़ आ गया है.
इस घोटाले में एक नये खुलासे के बाद अब प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल उठे है. एक आरटीआई में एस बात का खुलासा हुआ है कि दयानिधि मारन के दबाव में यह फैसला लिया गया.
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पीएम मनमोहन सिंह ने ही स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने का अधिकार जीओएम से छीनकर टेलिकॉम मंत्रालय को दिया था.
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्रियों के समूह (जीओएम) के टर्म्स ऑफ रिफरेंस को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी सहमति से ही स्पेक्ट्रम की कीमतें तय करने का हक जीओएम से लेकर टेलीकॉम मंत्री को दे दिया गया.
इसी वजह से तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा जनवरी 2007 में घोटाला कर पाए, जिससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. सामाजिक कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत गोपनीय दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनसे यह खुलासा हुआ.
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पहले केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम, फिर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और अब खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर हो रहे खुलासे के बीच प्रणब मुखर्जी अमेरिका में प्रधानमंत्री से रविवार को आपात बैठक करने वाले हैं. प्रधानमंत्री से मिलने के लिए प्रणब मुखर्जी न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो चुके हैं.
जनवरी 2006 में प्रधानमंत्री ने दूरसंचार कंपनियों के लिए रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली करवाने के मामले में जीओएम के गठन को मंजूरी दी थी.
First Published: Saturday, September 24, 2011, 10:20