2जी: पुनरीक्षा अर्जी वापसी की अनुमति - Zee News हिंदी

2जी: पुनरीक्षा अर्जी वापसी की अनुमति



नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार को 2जी फैसले पर पुनरीक्षा याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा इस मामले पर विभिन्न पक्षों को अपनी इस मंशा के बारे में पत्र भेजने के लिए खिंचाई भी की है। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह द्वारा मौखिक आग्रह पर न्यायालय ने सरकार को पुनरीक्षा याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

 

उन्होंने न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी तथा न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की पीठ की सलाह पर यह आग्रह किया। पीठ ने केंद्र द्वारा पत्र जारी कर पुनरीक्षा याचिका को वापस लिए जाने की मांग पर कड़ी आपत्ति जताई। इस मामले से जुड़े विभिन्‍न पक्षों को 8 मई को पत्र जारी कर कहा गया था कि 10 मई को उच्चतम न्यायालय से 2जी मामले में शीर्ष अदालत के फैसले की पुनरीक्षा करने की मांग करने वाली याचिका को वापस लेने के लिए आग्रह किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी के अपने आदेश में पहले आओ पहले पाओ नीति को असंवैधानिक बताया था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दिए गए 2जी मोबाइल सेवाओं के 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

 

केंद्र की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सिर्फ सीमित नोटिस ही जारी किया गया है, याचिकाकर्ता पुनरीक्षा याचिका के लिए तोर नहीं देना चाहते और वे इसे वापस लेने का आग्रह करेंगे। शीर्ष अदालत ने पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि आपको उचित आवेदन देना चाहिए था। हमें बताएं कि कब वह मौका था जब समुचित पीठ के गठन के लिए आग्रह किया जाना चाहिए था। पत्र में एक उचित पीठ के गठन की मांग की गई थी।

 

पीठ ने कहा कि जब इस मामले पर आज सुनवाई होनी थी, तो वकील को मुख्य न्यायाधीश से पीठ के गठन का आग्रह करने वाला पत्र क्यों जारी करना पड़ा। पीठ ने कहा कि उसे इस तरह के कई पत्र कई बार मिलते रहे हैं जिनमें गैरसंजीदा भाषा का इस्तेमाल होता रहा है। एनजीओ सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के वकील प्रशांत भूषण ने सरकार द्वारा पुनरीक्षा याचिका को वापस लिए जाने की अपील का विरोध किया।

 

इसी एनजीओ की याचिका पर 2जी घोटाले में अन्य सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार गलत मंशा से ‘मंच बदलने’ में लगी है। क्योंकि यह साफ हो चुका है कि पुनरीक्षा याचिका से उसे यहां से ज्यादा कुछ हासिल होने वाला नहीं था। उन्होंने कहा कि सरकार ने 12 अप्रैल को राष्ट्रपति की ओर से 2जी फैसले की वजह से पैदा हुए मुद्दों पर राय के लिए उच्चतम न्यायालय से संपर्क किया था। सरकार जानना चाहती थी कि क्या सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी अनिवार्य है। और क्या यह फैसला 1994 से पिछली तारीख से दिए स्पेक्ट्रम पर भी लागू होगा।

 

भूषण यह याचिका वापस लेने की सरकार की अर्जी का विरोध कर रहे थे उसी दौरान पीठ ने कहा कि हमारे निर्णय में सब बातें स्पष्ट हैं। साथ में पीठ ने यह भी कहा कि वह केंद्र की ओर से भेजी गई राष्ट्रपति के पत्र के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेगी। पीठ ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि इस पर कब सुनवाई होगी। लेकिन अदालत राष्ट्रपति की ओर से भेजे गए संबंधित पत्र का जवाब देने से मना भी कर सकती है। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यन स्वामी ने भी पुनरीक्षा याचिका को वापस लिए जाने का विरोध किया।

 

उच्चतम न्यायालय ने 13 अप्रैल को सरकार की 2जी मामले में पुनरीक्षा याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। पर अदालत ने इसके सिर्फ सीमित पहलू कि क्या प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन निजी कंपनियों को सिर्फ नीलामी के जरिये किया जाना है, को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। शीर्ष अदालत ने प्रभावित दूरसंचार कंपनियांे की पुनरीक्षा याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, May 10, 2012, 19:38

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