Last Updated: Thursday, February 2, 2012, 09:27
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को इस धारणा को खारिज किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2जी मोबाइल सेवा के 122 लाइसेंस रद्द करने का आज का फैसला सरकार पर आक्षेप है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में दूरसंचार नियामक ट्राई की सिफारिशों के बाद आगे बढ़ेगी।
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने कहा कि शीर्ष कोर्ट का फैसला न तो प्रधानमंत्री और न ही तत्कालीन वित्त मंत्री (पी. चिदंबरम) के खिलाफ किसी तरह का आक्षेप है। यदि किसी तरह का आक्षेप बनता भी है, तो वह 2003 की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ‘पहले आओ पहले पाओ’ की नीति पर है। हम सिर्फ उसी पर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि सरकार इस फैसले का पालन करेगी और स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। सिब्बल ने कहा कि उनके मंत्री बनने के बाद मंत्रालय ने 2011 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया।
सिब्बल ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने सिर्फ राजग सरकार की पहले आओ पहले पाओ की नीति का पालन किया। शीर्ष अदालत ने इस नीति को भेदभावपूर्ण करार दिया है। ऐसे में भाजपा को सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाने के लिए राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। इस फैसले का नॉर्वे की टेलीनॉर या रूस की सिस्तेमा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि कोई भी कंपनी राहत के लिए अदालत जा सकती है। इन दोनों कंपनियों ने देश में सेवाएं शुरू करने पर भारी निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जारी असमंजस दूर हो गया और स्थिति साफ हो गई है। इससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में निवेश आकषिर्त करने में मदद मिलेगी। सिब्बल ने जहां राजग की 2003 की नीति को दोषी बताया, वहीं इसे लागू करने में हुई अनियमितताओं को ठीकरा तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर फोड़ा।
2जी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि कोर्ट का यह फैसले टेलीकॉम की हमारी ही नीति को हमारे सामने रखता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्थिति और साफ हुई है और हम इस फैसले का सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले आओ और पहले पाओ की नीति एनडीए सरकार की थी और हमने तो उसका सिर्फ पालन किया है। उन्होंने कहा कि एक साल से टेलीकॉम सेक्टर में अनिश्चितता का माहौल था जिससे टेलीकॉम सेक्टर को काफी नुकसान हुआ है। लेकिन इस फैसले के बाद हालात बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि एनडीए अपनी गलत नीति के लिए देश से माफी मांगें।
कपिल सिब्बल ने इस मामले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम का बचाव किया और कहा कि इस घोटाले के लिए पीएम और गृह मंत्री कतई जिम्मेदार नहीं है क्योंकि यह नीति एनडीए के शासनकाल से लागू थी।
उन्होंने कहा कि रद्द स्पेक्ट्रम पर फैसला ट्राई करेगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नई नीति की शुरूआत हुई है जिससे टेलीकॉम सेक्टर में ज्यादा निवेश आएगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही इससे संचार क्षेत्र में निवेश भी प्रभावित नहीं होगा। सरकार 122 टूजी लाइसेंसों को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करेगी
इससे पहले दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने जनवरी 2008 में जारी सभी 122 लाईसेंस रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। समझा जाता है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश के असर और इस संबंध में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए अपने फैसले में यह कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस मनमाने और असंवैधानिक तरीके से आवंटित किए गए। अदालत ने ट्राई से कहा कि वह 2जी लाइसेंस आबंटन के लिए ताजा सिफारिशें दे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्पेक्ट्रम आबंटन चार महीने के भीतर नीलामी के आधार पर किए जाएं।
First Published: Friday, February 3, 2012, 15:52