Last Updated: Wednesday, November 16, 2011, 16:05
जी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी और नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की रिपोर्ट पर आपस में किसी भी तरह के सांठगांठ के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया और इसे बकवास करार दिया।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में लेखा परीक्षण का काम तेज करने के लिए दबाव डाले जाने की खबरों को मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) दोनों ने सिरे से खारिज कर दिया।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने कहा कि इस विषय में कोई बात पीएसी के साथ साझा नहीं की गई। पीएसी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह कैग को बदनाम करने की दुर्भावनापूर्ण साजिश है, जो संवैधानिक रूप से गलत, फर्जी और बेबुनियाद है।
जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि जनवरी 2010 में कैग ने समिति को आश्वासन दिया था कि टू जी मामले में रिपोर्ट छह महीने में तैयार हो जाएगी। जब इस अवधि में रिपोर्ट सामने नहीं आई, तब मैंने कैग से रिपोर्ट की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी क्योंकि लोग इस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। इस बात की जानकारी प्राप्त करने का समिति को हक है। इस मामले में कोई दबाव नहीं डाला गया।’’ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपने बयान में कहा कि संवैधानिक कार्यों और जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के दौरान किसी तरह के दबाव और प्रभावित करने के प्रयास के प्रति कैग का रूख हमेशा काफी सख्त रहा है।
गौरतलब है कि ऐसी खबरें आई हैं कि कैग के अधिकारी आरबी सिन्हा ने 13 जुलाई 2010 को अपनी सहयोगी रेखा गुप्ता को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कैग के अधिकारियों पर टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामले में आडिट के काम में तेजी लाने के लिए दबाव डाला था। जोशी ने कहा कि संविधान में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के तौर पर मैं इस तरह से संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के प्रयासों का पुरजोर विरोध करता हूं।
जोशी ने कहा कि देश में दो-तीन ही संस्थाएं ऐसी है जो सरकार के कामकाज, उसकी लापरवाहियों की निगरानी रखती हैं और घोटालों का पर्दाफाश करती है। लेकिन अब इन संस्थाओं को बर्बाद करने और संविधान एवं संसदीय व्यवस्था का मान कम करने का प्रयास किया जा रहा है। पीएसी के अध्यक्ष ने कहा कि मैंने कैग के अधिकारी को कभी तलब नहीं किया बल्कि सिर्फ उनसे पूछा कि रिपोर्ट की स्थिति क्या है क्योंकि वह इस मामले में आडिट करने वाले शीर्ष अधिकारी थे। गौरतलब है कि सिन्हा ने रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में पीएसी की जांच से जुड़े घटनाक्रम में उनपर सांसदों, मीडिया आदि का भारी दबाव है कि अगर जांच में देरी की गई तो कार्यपालिका को इस मुद्दे की लीपापोती करने का मौका मिल जाएगा।
पत्र में कहा गया कि साल 2008 में आडिट की प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी थी क्योंकि दूरसंचार विभाग से दस्तावेज नहीं मिल पा रहे थे। 2009 के अंत में सीबीआई से इस मामले में फाइल प्राप्त करने का प्रयास किया गया और इन फाइलों के आलोक में आडिट हुआ। जारी कैग ने जनवरी 2010 में पीएसी को सूचित किया था कि आडिट का काम पूरा कर लिया गया है और रिपोर्ट छह महीने के भीतर तैयार हो जाएगी।
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक बिनेाद राय ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज किया कि 2जी स्पेक्ट्रम रिपोर्ट जल्द तैयार करने को लेकर उन पर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की ओर से दबाव डाला गया था।
उन्होंने कहा कि कैग की ओर से 2जी स्पेक्ट्रम की रपट के बारे में पीएसी को कोई सूचना या जानकारी नहीं दी गयी। उन्होंने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में इस विभाग पर किसी भी तरफ से कोई दबाव नहीं था। कैग कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, अपने संवैधानिक कर्तव्य को निभाते समय किसी तरह के दबाव अथवा हस्तक्षेप करने के प्रयासों को कैग काफी गंभीरता से लेता है।
First Published: Thursday, November 17, 2011, 10:32