Last Updated: Friday, November 23, 2012, 10:15

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में सरकार को भारी नुकसान की बात कहने वाली कैग यानी सीएजी की रिपोर्ट पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अंग्रजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कैग की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले कैग के पूर्व अधिकारी आरपी सिंह ने कहा है कि वह इस रिपोर्ट से सहमत नहीं थे, लेकिन उन्हें इस पर दस्तखत करने पड़े थे।
आरपी सिंह सीएजी में महानिदेशक (पोस्ट एंड टेलीकम्युनिकेशंस) रहे हैं। अंग्रेजी अखबार को दिए बयान में आरपी सिंह ने कहा है कि सीएजी के अधिकारियों ने बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी से भी मुलाकात की थी, जो संसद में सीएजी रिपोर्ट पेश होने से पहले पीएसी चेयरमैन बन चुके थे।
जोशी पीएसी के चेयरमैन हैं और संसद की पीएसी में जोशी ने जो रिपोर्ट लिखी, उसमें भी 2जी स्पेक्ट्रम पर गंभीर सवाल उठाए गए थे, लेकिन इस रिपोर्ट को बाकी सदस्यों ने स्वीकार नहीं किया था।
आरपी सिंह का कहना है कि उन्होंने बड़े अधिकारियों को यह लिखकर कहा था कि वह 2जी स्पेक्ट्रम की रिपोर्ट से सहमत क्यों नहीं हैं। लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
गौरतलब है कि सीएजी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ है। इस आंकड़े के मीडिया में आने के बाद भारी सियासी तूफान मचा था।
उन्होंने यह दावा किया कि 31 मई, 2010 को भेजी गई उनकी रिपोर्ट के मुताबिक नुकसान का आंकड़ा 2,645 करोड़ रुपये था। आर पी सिंह सितंबर 2011 में रिटायर हुए थे। उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर बनी जेपीसी से भी अपदस्थ किया गया था।
First Published: Friday, November 23, 2012, 10:15