Last Updated: Thursday, August 22, 2013, 20:07

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने द्रमुक पार्टी के अध्यक्ष करूणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल को 2जी स्पेट्रम मामले में गवाही से छूट देने से इंकार कर दिया लेकिन न्यायालय ने उन्हें निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से छूट दे दी है। न्यायालय ने दयालु अम्माल से चेन्नई में पूछताछ के लिये आयोग नियुक्त करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की खंडपीठ के समक्ष अम्माल की पुत्री सेल्वी के वकील ने जब यह कहा कि वह गवाही देने की स्थिति में नहीं हैं तो न्यायाधीशों ने कहा, ‘उन्हें छूट देने का कोई सवाल ही नहीं है।’
न्यायाधीशों ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार वह अदालत में गवाह के रूप में बयान देने की स्थिति में नहीं है क्योंकि वह यात्रा नहीं कर सकती। न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत चेन्नई में ही दयालु अम्माल से पूछताछ के लिये एक आयोग नियुक्त करने का निर्देश दिया। दयालु अम्माल चेन्नई में ही रहती हैं।
न्यायाधीशों ने कहा कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि चेन्नई में उनसे पूछताछ के लिये कमीशन नियुक्त करने से मकसद पूरा हो जायेगा।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 10 जुलाई को एम्स के निदेशक को दयालु अम्माल के स्वास्थ्य का परीक्षण करके यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि क्या वह गवाह के रूप में सीबीआई अदालत में गवाही देने के लिये पूरी तरह स्वस्थ हैं। शीर्ष अदालत का यह आदेश काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रकरण में करूणानिधि की पुत्री और द्रमुक सांसद कनिमोई और टीवी चैनल के प्रबंध निदेशक शरद कुमार भी पूर्व संचार मंत्री ए राजा, डीबी रियल्टी लि के प्रबंध निदेशक विनोद गोयनका तथा अन्य आरोपियों के साथ मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
दयालु अम्माल की पुत्री सेल्वी ने इस याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया था कि स्वास्थ्य के आधार पर उनकी मां को निचली अदालत में अभियोजन की गवाह के रूप में पेश होने से छूट दी जाये। सेल्वी ने याचिका में कहा था कि शारीरिक और मानसिक स्थिति के कारण उनकी मां अक्सर अप्रत्याशित व्यवहार करने के साथ ही अनुचित तरीके से बात करने लगती हैं और वह अपने दैनिक कार्य करने में भी असमर्थ हैं।
यह याचिका सीबीआई की अदालत के 31 मई के आदेश के खिलाफ दायर की गयी थी। विशेष अदालत ने दयालु अम्माल को इस मामले में गवाह के रूप में पेशी से छूट देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में सेल्वी को शीर्ष अदालत जाने की सलाह दी थी क्योंकि वही 2जी प्रकरण की प्रगति की निगरानी कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 22, 2013, 20:07