Last Updated: Tuesday, June 19, 2012, 18:41

नई दिल्ली : 2जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के बीच पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए.राजा और महान्यायवादी जीई वाहनवती तथा अन्य गवाहों को पूछताछ के लिए बुलाने के मुद्दे पर मतभेद और तीखी नोकझोंक होने की खबर है। इस मसले पर जेपीसी बंट गया है।
भाजपा सदस्य चाहते थे कि राजा, वाहनवती, दयानिधि मारन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी को गवाह के रूप में बुलाया जाए, जिसका कांग्रेस सदस्यों ने विरोध किया।
सूत्रों ने कहा कि जेपीसी में कांग्रेस के सदस्यों ने यह कहते हुए भाजपा के कदम का विरोध किया कि यदि विपक्ष इस तरह से गवाहों के नाम चुनेगा तो समिति राजग शासन (1998) तक जाएगी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के तत्कालीन प्रधान सचिव ब्रजेश मिश्र और तत्कालीन महान्यायवादी सोली सोराबजी के अलावा उस दौरान केंद्रीय संचार मंत्री रहे भाजपा नेताओं को बुलाएगी।
समिति में 20 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं। समिति का गठन 1998 से लेकर 2009 तक की सरकारी दूरसंचार नीति की जांच करने के लिए चार मार्च, 2011 को किया गया था। समिति में कांग्रेस के 10 सदस्य, भाजपा के पांच सदस्य और जनता दल (युनाइटेड) से एक सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि कुछ सदस्यों की यह राय रही कि समिति को रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू करना चाहिए, और केवल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), कानून तथा वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को गवाह के रूप में बुलाया जाना चाहिए। लेकिन भाजपा नेता यशवंत सिन्हा चाहते थे कि कुछ राजनीतिक दलों को भी गवाह के रूप में बुलाया जाए।
जेपीसी अध्यक्ष पी.सी. चाको, जो कि कांग्रेस सांसद हैं, पूर्व केंद्रीय दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा से पूछताछ करना चाहते थे, जो राजा के साथ जेल में थे।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस, भाजपा और वामपंथी सदस्यों के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोक हुई। इसके बाद चाको को जेपीसी के समक्ष बुलाए जाने वाले गवाहों की एक सूची तैयार करने के लिए अधिकृत किया गया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 19, 2012, 18:41