Last Updated: Saturday, June 23, 2012, 01:20
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मौत की सजा पाए 35 कैदियों की सजा को उम्रकैद में बदला। पिछले तीन दशक में देश के किसी भी राष्ट्रपति ने इतनी बड़ी संख्या में मौत की सजा पाए कैदियों की सजा को उम्रकैद में नहीं बदला।
हालांकि देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति ने जघन्य अपराध करने वाले पांच व्यक्तियों की दया याचिकाओं को ठुकरा दिया। इनमें प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे भी शामिल हैं। राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति ने 19 मामलों में 35 व्यक्तियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
जिन लोगों की दया याचिकाओं को स्वीकार किया गया है उनमें सामूहिक हत्या, अपहरण, बलात्कार और बच्चों की हत्या जैसे अपराध करने वाले लोग शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने दो जून को चार लोगों कर्नाटक के बंदू बाबूराव तिडके, उत्तर प्रदेश के बंटू और राजस्थान के लालचंद उर्फ ललिया धूम और शिवलाल को माफी दी। सदाशिव अप्पना मठ के स्वामी के रूप में तिड़के ने 16 वर्ष की एक स्कूली छात्रा का अपहरण करके बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी थी। जुलाई 2008 में मौत की सजा पाए बंटू पर पांच वर्ष की एक लड़की से बलात्कार और उसकी हत्या का आरोप है।
नौ फरवरी को राष्ट्रपति ने सुशील मुरमू की रहम की अपील मंजूर कर ली थी, जो 2004 से लंबित थी। उस पर झारखंड में अपनी खुशहाली के लिए नौ वर्ष के एक लड़के की बलि देने का आरोप है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 23, 2012, 01:20