7 साल पहले हुआ था टाट्रा सौदे पर चर्चा - Zee News हिंदी

7 साल पहले हुआ था टाट्रा सौदे पर चर्चा



दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने करीब सात साल पहले ही असल निर्माता से नहीं बल्कि एक मध्यस्थ कंपनी के जरिए टाट्रा ट्रकों की खरीद पर विचार किया था लेकिन मामले को बंद कर दिया था। थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की ओर से टाट्रा ट्रकों की खरीद में कथित तौर पर हुई रिश्वत की पेशकश का मुद्दा उछालने के बाद सीबीआई अब इन ट्रकों की खरीद में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है।

 

सीबीआई चेक गणराज्य स्थित ‘टाट्रा’ से आपूर्ति का मामला 1997 में रवि ऋषि की कंपनी ‘टाट्रा सिपोक्स यूके’ को सौंपने के सिलसिले में हुई कथित अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है। टाट्रा के साथ करार पर 1986 में ही दस्तखत किए गए थे।

 

साल 2005 में ऐसे आरोप लगाए गए थे कि टाट्रा ट्रक एक एजेंट के जरिए खरीदे गए थे न कि सीधे तौर पर ओईएम से। यह भी कहा गया कि बीईएमएल तो बिना प्रौद्योगिकी हासिल किए ही ऐसे वाहनों की असेंबलिंग करती थी।

 

ऐसे आरोप लगाए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच की थी और साफ तौर पर यह पाया कि मध्यस्थ कंपनी के जरिए पुर्जे खरीदने के मामले में कुछ भी गलत नहीं था । इस निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले मंत्रालय को स्लोवाकिया के राजदूत से एक पत्र मिला जिसमें टाट्रा सिपोक्स यूके कंपनी के मालिकाना हक का ज्रिक था।

 

मुद्दे की हालिया समीक्षा के बाद आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक राजदूत ने 2005 में बताया था कि ‘टाट्रा सिपोक्स’ कंपनी चेकोस्लोवाकिया के दो गणराज्यों,- चेक और स्लोवाक, में विभाजित हो जाने के बाद सामने आए समन्वय संबंधी मुद्दे सुलझाने के लिए स्थापित की गयी थी। चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद ट्रकों का उत्पादन करने वाली टाट्रा का भी बंटवारा हो गया।  (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 29, 2012, 18:50

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