'782 कर चोरों के नामों का खुलासा करे सरकार' - Zee News हिंदी

'782 कर चोरों के नामों का खुलासा करे सरकार'

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली :  काले धन के मुद्दे पर विपक्ष ने आज सरकार की घेराबंदी करते हुए विदेश में जमा काले धन को स्वदेश लाने और वहां खाता रखने वाले भारतीयों को किसी भी तरह का संरक्षण नहीं देने और उनके नामों का खुलासा करने की मांग की।

 

लोकसभा में राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की ओर से पेश कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए आडवाणी ने सरकार से मांग की कि विदेशी बैंकों में जमा कथित रूप से 25 लाख करोड़ रुपए देश में वापस लाने के तुरंत कदम उठाए जाएं और इस बारे में श्वेत पत्र जारी कर विदेशों में काला धन रखने वाले सभी लोगों के नाम बताए जाएं।

 

वरिष्ठ नेता आडवाणी ने सरकार से कहा कि वह 782 से अधिक ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम जाहिर करे, जिन्होंने अपना धन विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है। इस तरह की कुल धनराशि लगभग 25 लाख करोड़ रुपये बैठती है। आडवाणी, लोकसभा में अपने स्थगन प्रस्ताव पर बोल रहे थे।

 

यह प्रस्ताव विदेशी बैंकों में अवैध रूप से जमा कराए गए धन से पैदा हो रही स्थिति और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में है। आडवाणी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 782 कर चोरों के नाम छुपा रही है। आडवाणी ने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं बहस के बाद आपका आश्वासन और आपसे एक शपथ चाहता हूं कि आप कर चोरों के नाम जाहिर करेंगे। सदन को विश्वास दिलाए, देश को विश्वास दिलाए कि आप विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाएंगे।

 

आडवाणी ने कहा कि सरकार को विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों के जो भी नाम मिले हैं, उन्हें संरक्षण देने के बजाय उनकी पूरी सूची तुरंत देश के सामने रखे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में भाजपा नेता ने कहा, 'विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय लोगों से केवल कर लेकर बात खत्म नहीं कर देनी चाहिए बल्कि ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।’ काले धन के बारे में श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए आडवाणी ने कहा कि इसमें इस बात का भी उल्लेख होना चाहिए कि सरकार ने अब तक विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को वापस लाने के लिए क्या प्रयत्न किए हैं।

 

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विपक्ष के आरोपों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह कहना गलत है कि काले धन की समस्या संप्रग सरकार ने पैदा की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में निवेश होने वाला हर तीसरा डॉलर कर चोरी की किसी न किसी पनाहगाह के जरिए आता है। ऐसी पनाहगाहें 1920 और उसके बाद से ही बननी शुरू हो गई थीं। सरकार ने काले धन की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। कई देशों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए समझौते किए हैं और कुछ देशों से इस संबंध में सूचनाएं हासिल हुई हैं, जिन पर आगे कार्रवाई की जा रही है।

 

तिवारी ने आरोप लगाया कि आयकर विभाग के जब्ती के अधिकार हल्के करने और मारिशस रूट को लेकर राजग शासन के समय अनुचित फैसले हुए। इस आरोप का खंडन करते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि मारिशस के साथ दोहरे कराधान से बचने वाली संधि 1982 में की गई थी। मारिशस रूट को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेश के लिए तब खोला गया था, जब मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त मंत्री हुआ करते थे। हमने उन्हीं नीतियों का अनुसरण किया, जो पूर्व की सरकारों ने बनाई थीं।

 

सपा के मुलायम सिंह यादव ने कहा, ‘काले धन को चोरी का धन कहना चाहिए। देश पर जितना कर्ज है, उसका दोगुना काला धन है। क्या सरकार इस धन को स्वदेश लाने की हिम्मत करेगी। हमें लगता है इस सरकार में हिम्मत नहीं है।’ मुलायम ने सदन में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की मौजूदगी में चुटकी ली, ‘काला धन वापस लाओगे तो फिर सरकार बनाओगे।’ बसपा के दारा सिंह चौहान ने कहा कि 25 से 30 लाख करोड़ रुपए काला धन विदेश में जमा है, यह एक अनुमान है लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं है कि कितना काला धन विदेश में है।

 

जद यू के शरद यादव ने कहा, ‘इस देश का दुर्भाग्य देखिए कि अब तक ये पक्का नहीं कर पा रहे हैं कि भारत का कितना धन कर चोरी की पनाहगाहों में है। देश के सारे लोग जानते हैं कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में काफी पैसा जमा है लेकिन वहां के बैंक गोपनीयता रखते हैं।’ तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को किस प्रकार वापस लाया जाएगा, यह आज एक बड़ा सवाल है। बनर्जी ने सरकार से मांग की कि किसी भी कीमत पर इस काले धन को देश में वापस लाया जाना चाहिए।

 

मार्क्‍सवादी सांसद बासुदेव आचार्य ने कहा कि भारतीयों का सबसे अधिक काला धन विदेशों में जमा है जो तीन साल पहले जहां 232 अरब डॉलर था तो वहीं अब यह बढ़कर 462 अरब डॉलर यानी 20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि उसे इस धन को स्वदेश लाने में क्या दिक्कत पेश आ रही है।

 

शिवसेना के अनंत गीते ने सरकार से जानना चाहा कि वह काले धन को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। अन्नाद्रमुक के एम.थंबिदुरई ने कहा कि काला धन रियल इस्टेट में बड़ी मात्रा में लगाया जा रहा है और देश में जाली मुद्रा भी बड़े स्तर पर आ रही है। टीडीपी के एन.नागेश्वर राव ने आडवाणी के कार्यस्थगन प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि कालाधन पर नियंत्रण की जिम्मेदारी सरकार की है और कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी के बयान से लगता है कि वह सरकार का बचाव कर रहे हैं और इस तरह से सरकार गंभीर नहीं दिखाई देती।

 

राजद के लालू प्रसाद ने कहा कि लोग फर्जी कागजात पेश कर काला धन विदेशी बैंकों में रखने वाले लोगों के नाम जारी कर रहे हैं, जिसमें गलत तरह से उनका भी नाम आया है। अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलनों से भी राजनेताओं के खिलाफ नफरत का माहौल पैदा हो गया है जिसे समाप्त करने के लिए सरकार को काला धन रखने वालों के नाम जल्दी और संभव हो तो आज ही जारी करने चाहिए ताकि सचाई सामने आए और नेताओं को अपमानित नहीं किया जाए। जनता दल एस के नेता एच.डी. देवगौड़ा ने कहा कि यह मुद्दा एक राजनीतिक दल का नहीं बल्कि सभी दलों की चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि खनन और भूमि में घोटालों में सबसे ज्यादा कालाधन लगाया जा रहा है।

First Published: Thursday, December 15, 2011, 09:06

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