Last Updated: Monday, October 1, 2012, 16:10

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट से संबंधित एक पीआईएल (जनहित याचिका) की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) एक संवैधानिक संस्था है। यह सरकारी खातों की बैलेंसशीट तैयार करने वाली कोई मुनिम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन की जांच करने के कैग के अधिकार को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। शीर्ष अदलत ने कहा कि ऐसे मामलों में संसद कैग की राय की पड़ताल कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस मामले में संसद ही कोई फैसला ले सकती है। यदि कैग ने इस संबंध में कोई अनियमितता बरती होगी तो भी संसद ही इस बारे में निर्णय ले सकती है।
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ ने कहा कि कैग एक संवैधानिक संस्था है जिसे केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से जुड़े राजस्व आवंटन पर लेखा परीक्षण करने और समीक्षा करने का अधिकार है।
पीठ ने याचिकाकर्ता अरविंद गुप्ता के वकील संतोष पॉल से कहा कि कैग कोई मुनीम नहीं है। वह एक संवैधानिक संस्था है जो राजस्व आवंटन और अर्थव्यवस्था से जुड़े मामलों में पड़ताल कर सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह संसद का काम है कि वह कैग के नतीजों को स्वीकार करे या उन्हें अस्वीकार करे।
संविधान के अनेक प्रावधानों की व्याख्या करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि कैग एक संवैधानिक संस्था है जिसे अपनी रिपोर्ट संसद या संबंधित राज्य विधानसभा को सौंपनी होती है और इन रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बारे में फैसला संसद और संबंधित विधानसभाओं को करना होता है।
First Published: Monday, October 1, 2012, 14:26