Last Updated: Friday, June 28, 2013, 16:10
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : केंद्र सरकार का कहना है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को और अधिक स्वायत्त बनाने की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद देश की प्रमुख जांच एजेंसी को और अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने शनिवार को कहा कि मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीबीआई को और अधिक स्वायत्तता प्रदान करने को मंजूरी दी है। इसके आधार पर एक हलफनामा तैयार किया गया है जिसे सुप्रीम कोर्ट में आगामी तीन जुलाई को पेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सीबीआई को और अधिक स्वायत्त बनाने के बारे में मंत्रियों के समूह (जीओएम) की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। मंत्री समूह की सिफारिशों के बारे में आधिकारिक रूप से हालांकि कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सीबीआई के निदेशक के वित्तीय अधिकार बढ़ाने तथा उनके द्वारा की जाने वाली जांचों पर निगरानी रखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का एक पैनल बनाने का भी सुझाव दिया है।
सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बारे में शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि सीबीआई के बारे में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देना है। इसलिए हलफनामा दाखिल करने से पहले इस संबंध में जानकारी सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने सीबीआई की स्वायत्तता के लिए कानूनी मसौदा तैयार करने के लिए वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम की अध्यक्षता में गत 14 मई को जीओएम का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रिसमूह से सीबीआई को जांच के काम में बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त करने के लिए कानूनी प्रावधानों पर विचार कर सुझाव देने को कहा था।
सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल से कम नहीं होगा। सरकार संभवत: शीर्ष अदालत को बताएगी कि लोकपाल विधेयक के प्रावधानों पर राज्यसभा अभी विचार कर रही है। लोकसभा में यह विधेयक पारित हो चुका है। इसके मुताबिक सीबीआई निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश के चयन मंडल को करना चाहिए। राज्यसभा की एक प्रवर समिति ने भी ऐसी ही सिफारिश की है।
मंत्रीसमूह ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून 1946 में सरकारी संशोधन भी तैयार किये हैं ताकि जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, वे किये जा सकें। हलफनामे के जरिए सरकार संभवत: सीबीआई के कामकाज में बदलावों को लेकर अपने इरादे से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगी। साथ ही वह यह बताएगी कि कानूनों में बदलाव विधायी प्रक्रिया के जरिए होगा, जिसमें वक्त लग सकता है ।
सरकार जब दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून (सीबीआई इसी कानून से संचालित होती है) में संशोधन का इरादा करेगी, तो हलफनामे में जिन संशोधनों का ब्यौरा है, उन्हें मंजूरी के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष फिर पेश किया जाएगा । संसद की स्थायी समिति बाद में बदलावों को और दुरूस्त करेगी । प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के विचार के अनुरूप सरकार ने सीबीआई को अधिक अधिकार दिये हैं और अधिक सकारात्मक कदम उठाये हैं।
मंत्रीसमूह ने सीबीआई निदेशक को अधिक वित्तीय अधिकार दिये जाने की भी सिफारिश की है। साथ ही निदेशक (अभियोजन) की नियुक्ति का नया तंत्र बनाने को कहा है। इस समय इस पद पर नियुक्ति कानून मंत्रालय करता है।
First Published: Friday, June 28, 2013, 13:55