Last Updated: Friday, December 7, 2012, 12:18

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली: मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर आज शुक्रवार को राज्यसभा में होने वाले महत्वपूर्ण मतदान में यूपीए सरकार की जीत लगभग तय है। गौर हो कि सरकार को भारी राहत प्रदान करते हुए बसपा ने गुरुवार को सदन में घोषणा की कि वह विपक्ष के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी।
हालांकि भाजपा और अन्नाद्रमुक ने बसपा एवं सपा सहित कई दलों को एफडीआई का विरोध करने के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार का साथ देने के लिए आड़े हाथों लिया। वहीं, समाजवादी पार्टी आज इस मसले पर वोटिंग के वक्त राज्यसभा से वॉकआऊट करेगी।
भाजपा ने बीते दिन आरोप लगाया कि एफडीआई मामले में बसपा ने जिस तरह से एक दिन के भीतर अपने रुख में बदलाव लाते हुए राज्यसभा में सरकार के पक्ष में वोटिंग करने का निर्णय किया है, उससे दोनों राजनीतिक दलों में सौदेबाजी की बू आ रही है। पार्टी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक दिन के भीतर बसपा के विचारों में इतना ज्यादा बदलाव कैसे हो गया? खुदरा क्षेत्र में एफडीआई मुद्दे पर कल लोकसभा में चर्चा के बाद मत-विभाजन के समय उसने सदन से वाकआउट किया और राज्यसभा में उसकी नेता मायावती ने उसी विषय पर सरकार के पक्ष में मतदान करने का ऐलान कर दिया। वहीं, सरकार का कहना है कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर बसपा के सरकार के समर्थन में खड़े होने के लिये बसपा प्रमुख मायावती के साथ कोई ‘डील’ नहीं हुई।
उच्च सदन में सपा का समर्थन भी सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। लेकिन उच्च सदन में गुरुवार को हुई चर्चा में सपा ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले तथा सरकार को एफडीआई नीति पर पुनर्विचार करने की नसीहत अवश्य दी। लोकसभा में सपा और बसपा के वाकआउट ने सरकार को मतदान में उबार लिया था।
अब सरकार को उच्च सदन में एक और परीक्षा पास करनी है क्योंकि 244 सदस्यीय राज्यसभा में संप्रग के पास कुल 94 सदस्य है। उसे इस प्रस्ताव को खारिज करने के लिए बसपा और सपा जैसे दलों की समर्थन की खासी जरूरत पड़ेगी। सरकार का साथ देने की राज्यसभा में घोषणा करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हमने तय किया है कि हम बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर कल सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे। पार्टी के उच्च सदन में 15 सदस्य हैं।
उच्च सदन में आज हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने सीबीआई के दुरुपयोग सहित विभिन्न मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। मायावती ने कहा कि वह एफडीआई नीति का समर्थन कर रही हैं क्योंकि इसमें राज्यों पर कोई बंधन नहीं होगा और वे इसे लागू करने के लिए स्वंतत्र होंगे। नौ सदस्यों वाली सपा के नरेश अग्रवाल ने सरकार से एफडीआई निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे किसानों और छोटे व्यापारियों पर विपरीत असर पड़ेगा विशेषकर गांवों में रहने वालों पर। उन्होंने कहा कि हमारी न तो इस सरकार को बचाने और न ही इसे गिराने की कोई जिम्मेदारी है।
सरकार की एफडीआई नीति का बचाव करते हुए कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने यह फैसला देश की प्रगति और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला उपभोक्ताओं, किसानों और विनिर्माण क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए किया है। अश्विनी कुमार ने कहा हो सकता है कि हम भविष्य में गलत साबित हों। लेकिन गलत होने की आशंका से वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम साहसिक निर्णय करने से पीछे नहीं हट सकते। उन्होंने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह फैसला किसानों के खिलाफ होगा।
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि सरकार को बहुमत जुटाने के लिए तमाम तरह के समझौते करने पड़ रहे हैं। इसकी वजह से जांच एजेंसियों, संवैधानिक संस्थाओं और देश को तमाम तरह की कीमतें चुकानी पड़ रही हैं। जेटली ने लोकसभा में भी खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के विरोध में लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान में सरकार द्वारा 272 के बहुमत से 18 मत कम रहने का जिक्र करते हुए कहा कि इस आंकड़े के बाद आप चलाचली वाली (लेम डक) सरकार बन गए हैं और इस अल्पमत सरकार के फैसलों की कीमत देश को किस हद तक चुकानी पड़ेगी।
First Published: Friday, December 7, 2012, 09:06