FDI पर सपा-बसपा से कोई आश्वासन नहीं : कमलनाथ

FDI पर सपा-बसपा से कोई आश्वासन नहीं : कमलनाथ

FDI पर सपा-बसपा से कोई आश्वासन नहीं : कमलनाथनई दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ का कहना है कि उन्हें एफडीआई के मुद्दे पर सपा और बसपा से कोई आश्वासन नहीं मिला है जिस पर इस हफ्ते दोनों सदनों में चर्चा और मतदान होगा। हालांकि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे (सपा-बसपा) संप्रग का समर्थन करेंगे। उन्होंने विपक्ष के दावे को झूठा बताते हुए कहा है कि रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से संबंधित विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) अधिसूचना को संसद के केवल एक ही सदन की मंजूरी की जरूरत है। विपक्ष का कहना है कि राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिलने पर फैसला लागू नहीं किया जा सकता जहां संप्रग के पास बहुमत नहीं है।

कमलनाथ ने डेविल्स एडवोकेट कार्यक्रम में करण थापर से कहा, ‘मेरे पास यह विश्वास करने के उचित कारण हैं कि सपा, बसपा सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे क्योंकि वे जिम्मेदार पार्टी हैं और वे इसकी राजनीति को समझेंगे। वे भाजपा की राजनीति के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘इस समय मेरे पास किसी राजनीतिक दल से कोई आश्वासन नहीं है। मुझे विश्वास है कि मैं राजनीतिक दलों को यह समझाने में कामयाब रहूंगा कि इस मत विभाजन के पीछे क्या है।’ मंत्री ने उल्लेख किया कि वह हर किसी से बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एफडीआई पर मतदान करने या अनुपस्थित रहने को लेकर सदस्यों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है ।

एफडीआई से संबंधित विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) अधिसूचना को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी की जरूरत है के सवाल पर कमलनाथ ने कहा, ‘एक सदन से पारित होने पर यह पारित हो जाएगा। इसे दोनों सदनों से पारित कराने की जरूरत नहीं है। यही नियमों में निहित है।’ माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा था कि मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दिए जाने संबंधी फेमा अधिसूचना को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया जाना जरूरी है।

कमलनाथ विपक्ष के इस तर्क से सहमत नजर नहीं आए। उन्होंने कहा, ‘किसी भी चीज को अदालत ले जाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो हम इससे निपटेंगे।’ मंत्री ने जोर देकर कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के लिए नियम अलग-अलग हैं। कमलनाथ ने हालांकि, स्वीकार किया कि फेमा अधिसूचना अगले सत्र तक खिंच सकती है जो तीन महीने बाद है। इसे बजट सत्र में पारित किया जा सकता है और सरकार के पास इसे मंजूर कराने के लिए संसद के 30 कार्य दिवस हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 2, 2012, 12:17

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