FDI पर सरकार की जीत, विपक्ष का प्रस्ताव लोकसभा में गिरा

FDI पर सरकार की जीत, विपक्ष का प्रस्ताव लोकसभा में गिरा

FDI पर सरकार की जीत, विपक्ष का प्रस्ताव लोकसभा में गिरानई दिल्ली : मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई ) लाने के खिलाफ लोकसभा में पेश विपक्ष का प्रस्ताव बुधवार को गिर गया। प्रस्ताव पर मत विभाजन से पहले ही सरकार को राहत देते हुए सपा और बसपा सदस्य सदन से वाकआउट कर गये।

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की ओर से रखे गये इस प्रस्ताव कि ये सभा सरकार से सिफारिश करती है कि वह मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देने संबंधी अपने निर्णय को तत्काल वापस ले कि के पक्ष में 218 जबकि विरोध में 253 मत पडे।

सदन ने इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय की ओर से रखे गये विदेशी मुद्रा प्रबंध कानून ( फेमा ) में कुछ संशोधन किये जाने संबंधी प्रस्ताव को भी 254 के मुकाबले 224 मतों से नामंजूर कर दिया।

विपक्ष का प्रस्ताव गिरने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सदन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले को अब सदन की मंजूरी भी मिल गयी है।

विपक्ष के इस प्रस्ताव को परास्त करने में 22 सदस्यों वाली सपा और 21 सदस्यों वाली बसपा की बडी भूमिका रही। दोनों पार्टियों ने हालांकि एफडीआई का विरोध किया लेकिन मत विभाजन से पहले ही सदन से वाकआउट कर गये।

इससे पहले खुदरा एफडीआई पर दो दिन चली चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि सरकार की ओर से सदन में दिए गए इस आश्वासन का उल्लंघन किया गया है कि एफडीआई के बारे में अंतिम निर्णय करने से पूर्व सभी राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों और अन्य संबद्ध पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में सभी राजनीतिक दलों से बातचीत या पत्र व्यवहार किया गया। देश भर के किसानों के 12 मान्य संगठनों तथा उपभोक्ताओं के 17 संगठनों को इस बारे में पत्र लिखा गया और इन सभी किसानों और उपभोक्ता संगठनों ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर सरकार के फैसले का समर्थन किया था।

शर्मा ने कहा कि इसके अलावा 21 राज्यों में से 11 कृषि प्रधान राज्यों ने सरकार के एफडीआई फैसले का समर्थन किया तथा केवल सात राज्यों ने विरोध किया।

सुषमा ने चर्चा का जवाब देते हुए सरकार से सवाल किया कि जब मुख्य विपक्षी दल भाजपा एफडीआई के सरकार के फैसले से सहमत नहीं हुआ तो वह आम सहमति बनने का दावा कैसे कर सकती है।

उन्होंने दलील दी कि सदन में इस दो दिन की चर्चा में भी जिन 18 दलों ने हिस्सा लिया उनमें से सपा और बसपा सहित 14 ने एफडीआई का विरोध किया है और अगर उन 14 दलों के सदस्यों की संख्या जोड़ ली जाए तो उनकी संख्या 282 हो जाती है जो बहुमत से कहीं अधिक है जबकि जिन दलों ने इसका समर्थन किया है उनकी संख्या केवल 224 होती है।

निर्दलीय हसन खान ने भी फेमा पर पेश अपना संशोधन वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वह सरकार के जवाब से संतुष्ट हैं। अपना प्रस्ताव गिरने के बाद संसद परिसर में प्रतिक्रिया देते हुए सुषमा ने कहा कि जोड तोड से सरकार ने संसद में संख्या जरूर जुटा ली और अब चुनाव में उनको असली जवाब देगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी दृष्टि से सरकार सदन में जीती है लेकिन नैतिक रूप से उसकी हार हुई है।

इससे पहले सुबह चर्चा को आगे बढाते हुए माकपा ने बासुदेव आचार्य ने सरकार के इस दावे को गलत बताया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने से किसानों और खुदरा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत एफडीआई से किसानों और छोटे दुकानदारों का ही सबसे अधिक अहित होगा।

जदयू के शरद यादव ने एफडीआई के विरोध में हुए बंद में शामिल होने वाले कुछ दलों की ओर से अब सदन में इस मुद्दे पर सरकार का साथ दिए जाने की स्थिति में उन्हें आगाह किया कि इतिहास इसके लिए उन दलों को माफ नहीं करेगा।

एफडीआई के मसले पर सरकार द्वारा सर्वसम्मति कायम नहीं किए जाने पर एतराज जाहिर करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने सत्ता पक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि भाजपा ने कभी खुद केंद्र की सत्ता में रहते हुए एफडीआई का समर्थन किया था।

उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र की शुरूआत से ही भाजपा मत विभाजन वाले नियम के तहत एफडीआई पर चर्चा कराने की मांग पर अड गयी और लगातार पांच दिन दोनों ही सदनों की बैठक बाधित रही। अंतत: सरकार ने विपक्ष की मांग मान ली। राज्यसभा इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा करेगी। उच्च सदन में मत विभाजन सात दिसंबर को होगा। (एजेंसी)


First Published: Wednesday, December 5, 2012, 18:50

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