`MP, MLA के निलंबन का अधिकार सिर्फ संसद, विधानसभा को`

`MP, MLA के निलंबन का अधिकार सिर्फ संसद, विधानसभा को`

`MP, MLA के निलंबन का अधिकार सिर्फ संसद, विधानसभा को`ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

नई दिल्‍ली : बलात्‍कार मामले में फास्‍ट ट्रैक कोर्ट बनाने की एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों को नोटिस जारी किया है।

रेप मामलों में घिरे सांसद और विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्‍पणी करते हुए कहा कि उनके निलंबन का अधिकार सिर्फ संसद और विधानसभा को है। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बलाकार के मामलों की त्वरित सुनवाई और महिलाओं की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानूनों के कार्यान्वयन को लेकर सरकार से जवाब मांगा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वह महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए आरोप पत्र में आरोपित सांसदों और विधायकों के निलंबन का आदेश नहीं दे सकता क्‍योंकि उनके निलंबन का अधिकार सिर्फ संसद और विधानसभा को है।

यौन उत्पीड़न से सम्बंधित सभी मामलों की सुनवाई में तेजी लाने और पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने की मांग को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। न्यायालय ने अतिरिक्त अदालतें गठित करने, न्यायिक बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने तथा मौजूदा रिक्तियों को भरने से सम्बंधित याचिका पर भी नोटिस जारी किए।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने हालांकि उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें आपराधिक मामलों का सामना कर रहे संसदीय प्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। न्यायालय ने कहा कि वह ऐसी याचिका पर आदेश नहीं दे सकता और इसलिए वह लोगों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित आवेदनों पर ही नोटिस जारी कर रहा है।

न्यायालय ने केंद्र सरकार से सभी नोटिस का जवाब चार सप्ताह के भीतर मांगा है। न्यायालय ने दिल्ली में चलती बस में छह लोगों द्वारा एक युवती से दुष्कर्म के बाद दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए। याचिकाकर्ताओं में से एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी प्रमिला शंकर हैं।

First Published: Friday, January 4, 2013, 12:32

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