Last Updated: Friday, February 17, 2012, 09:24
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली: सर्वोच्च आतंकवाद निरोधक संगठन बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ गैर कांग्रेसी 7 मुख्यमंत्रियों के साथ ही कांग्रेस के सहयोगी तृणमूल ने कड़ा विरोध किया है। विरोध करने वाले गुजरात, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इनका कहना है कि यह देश के संघीय ढांचे पर प्रहार है और राज्य की शक्तियां हड़पने का प्रयास है। केंद्र सरकार ने सभी आलोचनाओं को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन की ओर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता जताई। केंद्र की स्थापना करना गृह मंत्री पी. चिदंबरम का विचार है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विरोध की शुरुआत की और पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों के अलावा तेदेपा नेता एवं आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को इस मुद्दे पर पत्र लिखा।सबसे पहले प्रतिक्रिया कांग्रेस के सहयोगी तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की तरफ से आया जिन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनसे निर्णय की ‘समीक्षा एवं वापस’ लेने का आग्रह किया। उन्होंने चिंता जताई कि एनसीटीसी राज्यों के संघीय ढांचे का अतिक्रमण करेगा।
प्रधानमंत्री को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी चिट्ठी लिखी और कहा कि प्रस्तावित संस्था में ‘खामियां’ हैं और इसमें प्रावधान हैं कि वह राज्यों की वैधानिक शक्तियों को हड़प सकती हैं। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी (गुजरात), शिवराज सिंह चौहान (मध्यप्रदेश) और प्रेम कुमार धूमल (हिमाचल प्रदेश) ने भी केंद्र के प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में नरेंद्र मोदी ने कहा कि एनसीटीसी के गठन के लिये अधिसूचना संघीय ढांचे का स्पष्ट उल्लंघन और राज्यों के अधिकार पर हमला है। आदेश को तत्काल प्रभाव से खारिज करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सभी खुफिया एजेंसियों को एनसीटीसी के दायरे में लाने के आदेश से कानून-व्यवस्था लागू करने के राज्यों के अधिकार पर उल्टा असर
पड़ेगा।
संप्रग सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के विरोध को तवज्जो नहीं देते हुए पीएमओ में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए सरकार कदम उठाएगी। चेन्नई में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार उनसे बात करेगी। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उनसे बात करेंगे, हम मुद्दे के समाधान की कोशिश करेंगे।’ कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘राजग सरकार में कई सहयोगी थे जब कठोर कानून पारित हुआ था। जब कठोर कानून बनाए गए थे तो इनमें कई लोग उनसे जुड़े थे।’ कानून की ‘समीक्षा एवं इसे वापस लेने’ को लेकर ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। तृणमूल और बीजद दोनों 2002 में राजग सरकार में शामिल थे।
First Published: Saturday, February 18, 2012, 16:07