Last Updated: Tuesday, November 20, 2012, 14:50

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : मल्टीब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई और अन्य मुद्दों पर लोकसभा में यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तृणमूल कांग्रेस की योजना को लेकर भाजपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। गौर हो कि वामदलों से भी इस प्रस्ताव पर अभी तक समर्थन नहीं मिला है।
मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक समाप्त होने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि एनडीए की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर आखिरी फैसला लिया जाएगा। आज शाम पांच बजे एनडीए की बैठक होगी। उन्होंने कहा कि एनडीए में शामिल दलों के बीच बातचीत के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। शाम में बैठक खत्म होने के बाद विस्तार से इस फैसले के बारे में अवगत कराया जाएगा।
संसद के शीतकालीन सत्र के मद्देनजर अपनी रणनीति तय करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी में मुलाकात की। तृणमूल कांग्रेस पहले ही सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर चुकी है। पार्टी के नेताओं ने भाजपा के निर्णय का खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा कि मंगलवार शाम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक के बाद इस सम्बंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने आगामी सत्र व कई अन्य मुद्दों पर पार्टी की रणनीति पर चर्चा की। हम राजग की बैठक में चर्चा के बाद ही शीतकालीन सत्र के लिए हमारी रणनीति का खुलासा करेंगे। राजग नेता मंगलवार शाम पांच बजे बैठक करेंगे।
भाजपा संसदीय पार्टी ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, भाजपा नेता कैलाशपति मिश्र व पूर्व रक्षा मंत्री के.सी. पंत को श्रद्धांजलि भी दी। ठाकरे का 17 नवंबर, मिश्र का तीन नवंबर व पंत का 15 नवंबर को निधन हो गया था। पटना में सोमवार रात छठ पूजा के दौरान मची भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की गई।
इससे पहले, भाजपा ने सोमवार को अपनी रणनीति की घोषणा करने से इनकार कर दिया था। अगर अविश्वास प्रस्ताव को सफल होना है तो भाजपा का समर्थन तृणमूल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। फिलहाल सरकार को 545 सीटों वाली लोकसभा में तकरीबन 265 सांसदों का समर्थन हासिल है। इसमें द्रमुक के 18 सांसद भी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के 22 और बसपा के 21 सांसदों के समर्थन से यह आंकड़ा 300 पर पहुंच जाता है। बहुमत के लिए सरकार को लोकसभा में 273 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। बसपा और सपा ने साथ मिलकर या अलग से अब तक सरकार से समर्थन वापस लेने के प्रति संकेत नहीं दिया है।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा था कि हम भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। बैठक मंगलवार को लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर सुबह 11 बजे होगी। बाद में शाम में राजग की भी बैठक होगी, जिसमें 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की जाएगी। पार्टी के एक धड़े का हालांकि मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव जल्दबजी होगी क्योंकि लोकसभा में इसके सफल होने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाने के लिए जमीनी कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव की सफलता बहुत हद तक भाजपा, समाजवादी पार्टी और बसपा के रुख पर निर्भर करेगी। फिलहाल सपा और बसपा दोनों सरकार को अस्थिर करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। उधर, माकपा महासचिव प्रकाश करात ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि हमारा मानना है कि यह :अविश्वास प्रस्ताव: फिलहाल ज्यादा मददगार नहीं होगा। हर कोई जानता है कि संप्रग सरकार के पास संख्या बल है। करात ने यहां कहा कि अगर आप विफल होते हैं और प्रस्ताव गिर जाता है तो यह सरकार को अपनी सभी गलतियों को ढंकने में मदद प्रदान करेगा और यह इस बात का दावा करने में उसकी मदद करेगा कि उसके पास संसद का जनादेश है। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने वस्तुत: करात के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि प्रस्ताव को किसका समर्थन हासिल है और क्या मुद्दे हैं।
First Published: Tuesday, November 20, 2012, 13:09