Last Updated: Sunday, March 4, 2012, 09:28
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा सीबीआई न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने एनआरएचएम घोटाले में अपनी संलिप्तता से इंकार किया। कुशवाहा ने कहा कि वह धन के आवंटन और कंपनियों को काम सौंपने के संबंध में फैसले को अंतिम रूप देने की स्थिति में नहीं थे और वह किसी भी समिति के प्रमुख नहीं थे।
उन्होंने शनिवार शाम अदालत के समक्ष कहा कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एक समिति की प्रमुख थीं और एक अन्य समिति के अध्यक्ष राज्य के मुख्य सचिव थे और मायावती का फैसला अंतिम था। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि उन्होंने एनआरएचएम में किसी भी काम के लिए कभी धन आवंटित किया।
अदालत से शाम साढ़े सात बजे के करीब बाहर निकलने के दौरान बाहर में प्रतीक्षा कर रहे मीडियाकर्मियों से कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने अदालत के समक्ष अपनी बेगुनाही के संबंध में सही तस्वीर पेश की। सह अभियुक्त एवं बसपा विधायक रामपाल सिंह जायसवाल ने भी अदालत से कहा कि वह उनकी निजी कंपनी चलाते हैं और उनके फर्म ने एनआरएचएम के धन का गबन नहीं किया।
दोनों के वकील अजय विक्रम सिंह ने कहा कि अब सीबीआई को एनआरएचएम में धन के आवंटन के संबंध में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से पूछताछ करनी चाहिए। सीबीआई ने कुशवाहा और जायसवाल को कल गिरफ्तार किया था। उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये के एनआरएचएम घोटाले के सिलसिले में किसी नेता के खिलाफ यह पहली कार्रवाई थी।
कुशवाहा और जायसवाल की गिरफ्तारी ऐसे दिन हुई थी जब उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण का मतदान संपन्न हुआ। उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण मंत्री के पद से बख्रास्त किए जाने के बाद कुशवाहा बसपा छोड़कर भाजपा के पाले में आ गए थे। कुशवाहा को पिछले साल बसपा से बख्रास्त कर दिया गया था और वह इस घोटाले के प्रमुख आरोपियों में से एक हैं।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, March 4, 2012, 14:59