Last Updated: Sunday, December 23, 2012, 18:03

नई दिल्ली: अपनी पार्टी का दायरा और आधार अनुसूचित जाति तक सीमित नहीं रहने की छवि पेश करने की कोशिश करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि वह सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए अगले विधेयक का समर्थन करना चाहती हैं।
सच्चर समिति की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने का पक्ष लेते हुए मायावती ने अपने चिर प्रतिद्वन्द्वी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधने का प्रयास करते हुए दावा किया कि उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में 18 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के वायदे को पूरा करने में विफल रही।
हाल ही में समाप्त संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी ने अपने मुख्य वोट बैंक अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) और मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने की मांग की थी।
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान संविधान संशोधन विधेयक इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की सरकार की नीति को रद्द कर दिया था।’
मायावती ने कहा, ‘हम पिछड़ा वर्ग के लोगों को इसी तरह का लाभ प्रदान किए जाने के लिए अलग विधेयक का समर्थन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीने से शासन में होने के बावजूद उत्तरप्रदेश सरकार अपने चुनावी घोषणापत्र में मुसलमानों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 18 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के वायदे को पूरा नहीं किया।
बसपा सुप्रीमों ने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी अगड़ी जाति के लोगों को फायदा नहीं पहुंचाना चाहती है।
उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने सरकारी नौकरियों में अगडी जातियों पर लगाए गए प्रतिबंध को समाप्त किया था।
मायावती ने कहा,‘हम सर्व समाज की अवधारणा में विश्वास रखते है। हम अगड़ी जातियों में गरीब लोगों को आरक्षण का लाभ प्रदान करने के पक्ष में हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तरप्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति काफी खराब हुई है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 23, 2012, 18:03