Last Updated: Thursday, August 18, 2011, 08:13

नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में न्यूनतम योग्यता प्रतिशत सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में अधिक से अधिक 10 फीसदी कम होना चाहिए. आज एक अहम फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ये बातें कही.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ओबीसी श्रेणी के छात्रों के लिए योग्यता मानदंड का फैसला सामान्य श्रेणी में दाखिला पाने वाले अंतिम उम्मीदवार के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए.
हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में विश्वविद्यालयों में जो दाखिले पहले ही हो चुके हैं उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. शीर्ष अदालत का स्पष्टीकरण आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रोफेसर पीवी इंद्रेसन की ओर से दायर याचिका पर आया है.
दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटीज और जेएनयू के पैमानों में काफी अंतर है. याचिका में कहा गया कि ओबीसी कोटा के तहत होने वाले एडमिशन्स में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हे दुरुस्त किया जाना चाहिए.
First Published: Thursday, August 18, 2011, 14:20